Breaking News

कांग्रेस का चुनावी आंदोलन: सुधार के लिए पार्टी उठाएगी कदम, बदलाव की जरूरत

नई दिल्ली। महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद, पार्टी कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में हार के कारणों पर चर्चा की गई और भविष्य की रणनीति पर मंथन हुआ। पार्टी ने तय किया है कि अगर चुनाव जीतना है तो पुरानी आदतों को छोड़ना होगा, नेताओं की जिम्मेदारी तय करनी होगी और संगठन को सख्त निर्णय लेने होंगे। सीडब्ल्यूसी ने चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध मानते हुए इंडिया ब्लॉक के सहयोगियों के साथ जन आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है।

हार के कारणों पर विचार
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में सीडब्ल्यूसी की बैठक में हार के कारणों पर चर्चा की गई। खरगे ने कहा कि कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद नए जोश के साथ वापसी की थी, लेकिन तीन राज्यों के चुनाव परिणाम उम्मीदों के अनुरूप नहीं आए। इनसे सबक लेते हुए संगठन की कमजोरियों को दूर करने की जरूरत है।

राहुल गांधी का बयान
राहुल गांधी ने कहा कि यह एक वैचारिक लड़ाई है, और पार्टी को अपनी विचारधारा को स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा जाति जनगणना से डरती है, और हम पिछड़ों और गरीबों के लिए खड़े हैं, इसलिए हम पर हमला हो रहा है। जब अल्पसंख्यकों पर हमला हो रहा हो, तो हमें अपना विचार स्पष्ट करना चाहिए।

कांग्रेस का जन आंदोलन
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव प्रक्रिया में सुधार के लिए पार्टी जन आंदोलन शुरू करने जा रही है। इसके तहत विभिन्न राज्यों में रैलियां आयोजित की जाएंगी। 26 और 27 दिसंबर को बैलगांव में कांग्रेस की विशेष सीडब्ल्यूसी बैठक होगी। 28 दिसंबर को कांग्रेस स्थापना दिवस पर बैलगांव में एक बड़ी सभा होगी, क्योंकि 1924 में महात्मा गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष चुना गया था।

हार के बाद की रणनीति

  • खरगे ने कहा कि जब तक हम आपस में बयानबाजी बंद नहीं करेंगे, तब तक विरोधियों को कैसे हराएंगे?
  • पार्टी को अनुशासन में रहकर यह समझना होगा कि कांग्रेस की जीत में सबकी जीत है और हार में सबकी हार है।
  • उन्होंने कहा कि हार से घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि एकता और अनुशासन की अधिक आवश्यकता है।
  • बेरोज़गारी, महंगाई, आर्थिक असमानता, जाति जनगणना, संविधान, सामाजिक न्याय और सौहार्द जैसे मुद्दों पर पार्टी के विचार स्पष्ट हैं।

चुनावी रणनीति

  • सिर्फ माहौल के आधार पर जीत की गारंटी नहीं होती, उसे नतीजों में बदलने की कला सीखनी होगी।
  • संगठन को ऊपर से नीचे तक मजबूत करना होगा और चुनावी तैयारी एक साल पहले से शुरू करनी चाहिए।
  • सबसे पहला काम मतदाता सूची की जांच करना होगा, ताकि हमारे समर्थकों के वोट सूची में सही से दर्ज रहें।

About admin

Check Also

मध्य प्रदेश का बजट कर्ज में डूबा, हर व्यक्ति पर 60,000 रुपये का बोझ

मध्य प्रदेश सरकार ने 2025-26 का बजट पेश किया, जो अब तक का सबसे बड़ा …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Channel 009
help Chat?