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लार्सन एंड टुब्रो (L&T) के चेयरमैन एस.एन. सुब्रमण्यम का बयान सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कर्मचारियों से सप्ताह में 90 घंटे काम करने और रविवार को भी ऑफिस आने की बात कही। उनके बयान के बाद सोशल मीडिया पर भारी विरोध हुआ।
क्या कहा चेयरमैन ने?
एस.एन. सुब्रमण्यम ने कहा, “आप रविवार को घर पर बैठकर क्या करेंगे? कितनी देर तक अपनी पत्नी को घूरेंगे? ऑफिस आइए और काम कीजिए।” इस बयान ने लोगों को नाराज कर दिया और कार्य-जीवन संतुलन (वर्क-लाइफ बैलेंस) पर सवाल खड़े कर दिए।
कंपनी की सफाई
विवाद बढ़ने पर L&T ने चेयरमैन के बयान पर सफाई दी। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, “हम राष्ट्र निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं और असाधारण परिणाम पाने के लिए असाधारण प्रयास जरूरी हैं। चेयरमैन की टिप्पणी इसी भावना को व्यक्त करती है।”
सोशल मीडिया पर विरोध
चेयरमैन के इस बयान पर सोशल मीडिया पर लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया दी।
- रेडिट पर एक यूजर ने लिखा: “मैं उस दिन वहां था। किसी ने पूछा कि सिक लीव (बीमार अवकाश) सिर्फ दो दिनों के लिए क्यों है। चेयरमैन ने कहा, ‘तो बीमार मत पड़ो।'”
- दीपिका पादुकोण: उन्होंने फेय डिसूजा का ट्वीट साझा करते हुए लिखा, “वरिष्ठ पदों पर बैठे लोगों के ऐसे बयान चौंकाने वाले हैं। हमारा मानसिक स्वास्थ्य भी जरूरी है।”
- बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा: उन्होंने कहा, “क्या किसी को अपनी पत्नी को घूरने का अधिकार नहीं? और सिर्फ रविवार को क्यों? यह बयान मर्दवादी और स्त्रीद्वेषपूर्ण है।”
काम के घंटे और कर्मचारियों पर असर
भारत में लंबे समय तक काम करने पर पहले भी बहस होती रही है।
- नारायण मूर्ति: इंफोसिस के संस्थापक ने हाल ही में 70 घंटे प्रति सप्ताह काम करने की बात कही थी।
- विशेषज्ञों की राय:
- लंबे समय तक काम करने से मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
- निजी जीवन में समस्याएं, तनाव और थकावट बढ़ सकती हैं।
कड़ी मेहनत या शोषण?
कुछ उद्योगपति मानते हैं कि भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ाने के लिए अधिक काम करना जरूरी है, जबकि आलोचक इसे कर्मचारियों पर अतिरिक्त दबाव डालने की मानसिकता बताते हैं।
यह विवाद कार्य-जीवन संतुलन पर गंभीर चर्चा की जरूरत को उजागर करता है।