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योजना के प्रमुख लाभ:
- आर्थिक सहायता: पात्र खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को पूंजी निवेश के लिए 35% तक की क्रेडिट-लिंक्ड सब्सिडी मिलती है, जिसकी सीमा 10 लाख रुपये तक हो सकती है।
- तकनीकी उन्नयन: छोटे उद्योगों को नवीनतम तकनीकों और उपकरणों को अपनाने में मदद मिलती है, जिससे गुणवत्ता और क्षमता में सुधार होता है।
- ब्रांडिंग और मार्केटिंग: ‘एक जिला, एक उत्पाद’ योजना के तहत चयनित उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ब्रांडिंग और प्रमोशन के लिए सहायता दी जाती है।
- क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण: उद्यमियों और उनके कर्मचारियों को आधुनिक तकनीकों, खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों पर प्रशिक्षण दिया जाता है।
- आसान ऋण सुविधा: ऋण प्राप्त करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों से समन्वय किया जाता है, और ऋण पर सब्सिडी दी जाती है।
- सामुदायिक स्तर पर सहायता: इस योजना के तहत भंडारण, कोल्ड स्टोरेज और अन्य बुनियादी ढांचागत सुविधाओं के विकास में भी सहायता की जाती है।
- स्थानीय रोजगार सृजन: यह योजना स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाती है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार और रोजगार के नए साधन उपलब्ध कराती है।
- प्रमाणन: खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को एफएसएसएआइ जैसे आवश्यक प्रमाणन प्राप्त करने में मदद मिलती है, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बढ़ती है।
- डीआरपी: योजना के कार्यान्वयन में जिला संसाधन व्यक्तियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, जो स्थानीय उद्यमियों को आवेदन, दस्तावेजीकरण और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
वित्तीय दृष्टिकोण से लाभ:
- यह योजना कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, लघु उद्योग, और एमएसएमई को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- पूंजी लागत में कमी और उत्पादन की लागत में सुधार होता है।
- ऋण पर सब्सिडी और ब्रांडिंग सहायता से प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ती है।
- नई तकनीकों को अपनाने से उत्पादकता और लाभप्रदता में सुधार होता है।
– मोहित धमोड़, सीए