राजस्थान पत्रिका में आंगनबाड़ी केंद्रों के किराए को लेकर खबर प्रकाशित होने के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग में हलचल मच गई। खबर में बताया गया था कि सरकार द्वारा तय राशि से कम किराया दिया जा रहा है, और बाकी पैसा कार्यकर्ताओं व सहायिकाओं को खुद देना पड़ रहा है।
क्या है मामला?
- सरकार ने गांव में 1,000 रुपए और शहर में 4,000 रुपए मासिक किराया तय किया है।
- लेकिन अधिकांश जगह पूरी राशि का भुगतान नहीं हो रहा।
- कई जगह सिर्फ 750 रुपए किराया दिया जा रहा है, जिससे कार्यकर्ताओं को अपनी जेब से देना पड़ रहा है।
सरकार ने पहले ही दिए थे निर्देश
- 8 दिसंबर 2023 को महिला एवं बाल विकास निदेशक रामवतार मीणा ने सभी जिला अधिकारियों को आदेश दिया था कि केंद्रों का पूरा किराया दिया जाए।
- लेकिन अभी तक इस आदेश का पालन नहीं हुआ।
विभागों की प्रतिक्रिया
- महिला एवं बाल विकास विभाग का कहना है कि सार्वजनिक निर्माण विभाग (PWD) की रिपोर्ट के आधार पर ही किराया तय होता है।
- PWD विभाग का कहना है कि पिछले दो-तीन साल से किसी ने रिपोर्ट मांगी ही नहीं।
इस खुलासे के बाद मुख्यालय ने जवाब तलब किया है, और अब अधिकारियों पर दबाव बढ़ गया है कि वे आंगनबाड़ी केंद्रों के किराए की सही व्यवस्था करें।