पाली। राजस्थान में यूनानी चिकित्सा पद्धति के 468 अस्पताल हैं, लेकिन सरकार की अनदेखी से इनकी हालत बेहद खराब है। मरीजों को सिर्फ 2 रुपए की दवा मिलती है। अगर एक अस्पताल में सालभर में 10 हजार मरीज आते हैं, तो कुल मिलाकर 20 हजार रुपए की दवा ही दी जाती है।
दवाओं की कमी से जूझ रहे अस्पताल
- अधिकतर यूनानी अस्पतालों में लंबे समय से दवाओं की भारी कमी है।
- दवाएं आने में अभी भी करीब 2 महीने और लग सकते हैं।
- 100 तरह की दवाएं सरकारी स्तर पर अस्पतालों में आती हैं, जिनमें से 20-25 दवाएं अजमेर की रसायनशाला में बनती हैं और बाकी 50 दवाएं इंडियन मेडिसिन फार्मास्यूटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IMPC) से खरीदी जाती हैं।
पाली का यूनानी अस्पताल ढाई साल से बंद
- पाली शहर के बांगड़ अस्पताल में स्थित यूनानी डिस्पेंसरी 30 जून 2022 से ढाई साल से बंद है।
- प्रदेश के कई जिलों में भी यूनानी डिस्पेंसरी बंद पड़ी हैं।
कम बजट, बड़ी समस्या
- यूनानी दवाओं के लिए प्रदेश भर में 2.50 करोड़ रुपए का बजट आता है, जिसकी प्रक्रिया जारी है।
- प्रति मरीज सिर्फ 2 से 2.50 रुपए का बजट मिलता है, जिससे दवाओं की भारी कमी बनी रहती है।
यूनानी अस्पतालों के आंकड़े
- 462 यूनानी अस्पताल प्रदेश में
- 495 चिकित्सक पद स्वीकृत
- 348 चिकित्सक कार्यरत
- 147 चिकित्सक पद खाली
- 348 नर्सिंगकर्मी पद स्वीकृत
- 271 नर्सिंगकर्मी कार्यरत
- 77 नर्सिंगकर्मी पद खाली
सरकार की अनदेखी से यूनानी चिकित्सा पद्धति संकट में है। मरीजों को बेहतर इलाज और पर्याप्त दवाएं देने के लिए बजट बढ़ाना बेहद जरूरी है।