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कॉलेज को शिफ्ट करने की वजह
जयपुर में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं था, जबकि प्रदेश के कई जिलों में ऐसे कॉलेज हैं। जयपुर में निजी इंजीनियरिंग कॉलेज तो बहुत हैं, लेकिन बाहर से आने वाले छात्र सरकारी कॉलेज को प्राथमिकता देते हैं। तकनीकी शिक्षा विभाग का कहना है कि खेतान पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर में केवल ढाई एकड़ जमीन है, जबकि एआईसीटीई (AICTE) के नियमों के अनुसार इंजीनियरिंग कॉलेज के लिए कम से कम 7.5 एकड़ जमीन होनी चाहिए। इसी कारण कॉलेज को दूदू में शिफ्ट करने की योजना बनाई जा रही है।
सवाल उठ रहे हैं
लेकिन सवाल यह उठता है कि जब दो साल पहले कॉलेज शुरू किया गया था, तब इन नियमों का ध्यान क्यों नहीं रखा गया? तब खेतान पॉलिटेक्निक कॉलेज परिसर को ही सही माना गया था, लेकिन अब इसे गलत बताया जा रहा है।
छात्रों का विरोध
फिलहाल कॉलेज में 300 छात्र पढ़ रहे हैं, जिनका मेरिट के आधार पर चयन हुआ था। अब अचानक कॉलेज को दूदू शिफ्ट करने की योजना से छात्र नाराज हैं और विरोध कर रहे हैं।
सरकार को जयपुर में ही कॉलेज विकसित करना चाहिए
पूर्व तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग का कहना है कि उनके कार्यकाल में इस कॉलेज की योजना बनी थी, ताकि जयपुर को एक टेक्नोलॉजी हब बनाया जा सके। उनका मानना है कि सरकार को इसे जयपुर में ही विकसित करना चाहिए, न कि इसे दूदू शिफ्ट करना चाहिए।