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सुवासा (तालेड़ा): तालेड़ा उपखंड की तीरथ ग्राम पंचायत के छोटी तीरथ गांव की 800 की आबादी आज भी शिक्षा और चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है।
गांव का इतिहास
- 70 वर्षीय लटूर लाल केवट ने बताया कि पहले इस गांव को झोपड़िया और कीर बस्ती के नाम से जाना जाता था।
- करीब 90 साल पहले भूमलिया गोबरी लाल केवट तीरथ गांव से निकलकर यहां बसे और इस गांव की नींव रखी।
- बाद में इस गांव का नाम छोटी तीरथ रखा गया।
रेलवे सुरक्षा दीवार बनी परेशानी
- गांव के चारों तरफ रेलवे लाइन है, जिससे छोटे बच्चों को लेकर ग्रामीण हमेशा चिंतित रहते हैं।
- रेलवे विभाग ने जानवरों की सुरक्षा के लिए लोहे की पाइप से दीवार बना दी, जिससे श्मशान जाने का रास्ता बंद हो गया।
- अंतिम संस्कार के लिए शव को पाइपों से निकालकर रेल पटरी पार करनी पड़ती है, फिर डेढ़ किलोमीटर पैदल चलकर श्मशान पहुंचना पड़ता है।
- शिकायतों के बावजूद रेलवे विभाग ने कोई समाधान नहीं किया।
बंद हुआ स्कूल, बच्चे खतरे में
- गांव में 1997 से प्राथमिक स्कूल था, लेकिन सरकार ने 11 फरवरी 2025 से इसे बंद कर दिया।
- बच्चों को अब 2 किलोमीटर दूर तीरथ गांव के स्कूल जाना पड़ता है।
- रेलवे लाइन पार करके स्कूल जाना खतरनाक है, जिससे छोटे बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।
- शिक्षा की कमी के कारण अब तक सिर्फ तीन युवा सरकारी सेवा में जा पाए हैं।
खेती और पशुपालन पर निर्भर लोग
- 85 वर्षीय रामजोध बाई के अनुसार, गांव की अधिकांश आबादी खेती, मजदूरी और पशुपालन पर निर्भर है।
- गांव में तालाब नहीं है, जिससे पानी की समस्या बनी रहती है।
- आधी जमीन को नहर का पानी मिलता है, बाकी में सिर्फ बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है।
बड़ी समस्याएं
- गांव में बैंक, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और पशु चिकित्सा केंद्र नहीं हैं।
- इलाज के लिए रात में केशवरायपाटन, कोटा या बूंदी जाना पड़ता है।
- गांव की सड़कें जर्जर हैं और कोई बस सुविधा नहीं है, जिससे ग्रामीणों को 4 किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक जाना पड़ता है।
- इस वजह से अधिकांश लड़कियां कॉलेज तक नहीं पहुंच पातीं।
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने सरकार से मांग की है कि गांव में शिक्षा, स्वास्थ्य और यातायात सुविधाएं बेहतर की जाएं ताकि बच्चों की पढ़ाई सुरक्षित हो और लोगों को इलाज के लिए दूर न जाना पड़े।