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गांवों और शहरों में संपत्ति का डेटा अभी भी अधूरा
छतरपुर जिले में संपत्ति के रजिस्ट्रेशन में धोखाधड़ी रोकने और ऑनलाइन प्रक्रिया लागू करने के लिए संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर शुरू किया गया है। लेकिन अभी भी 90% गांवों के खसरे आधार से लिंक नहीं हैं। इसी तरह, शहरी क्षेत्रों में भी 50% से ज्यादा संपत्तियों का खसरा आधार से लिंक नहीं होने के कारण उनकी आईडी नहीं बन पा रही है।
गांवों की संपत्ति का डेटा सॉफ्टवेयर में एक्सेप्ट नहीं हो रहा
गांवों के खसरे आधार से लिंक नहीं होने के कारण संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर में आईडी जनरेट नहीं हो पा रही। अगर खसरे का ई-केवाईसी आधार से लिंक नहीं होगा तो सॉफ्टवेयर डेटा एक्सेप्ट नहीं करेगा। इसके अलावा, गांवों के नक्शे अपडेट नहीं होने की वजह से भी दिक्कतें आ रही हैं। इससे संपदा सॉफ्टवेयर में डेटा मिसमैच हो सकता है।
सिर्फ टैक्स भरने वालों की आईडी मौजूद
शहरी निकायों के पास सिर्फ प्रॉपर्टी टैक्स भरने वालों की आईडी जनरेट हो रही है। इसी कारण, कुल संपत्तियों में से 50% से ज्यादा की आईडी नहीं बनी है। इसका असर सरकारी राजस्व पर भी पड़ सकता है क्योंकि रजिस्ट्रेशन के दौरान मिलने वाला टैक्स नहीं मिल पाएगा।
नए सॉफ्टवेयर से चार विभाग जुड़े
संपदा 2.0 सॉफ्टवेयर से राजस्व विभाग, ट्रेजरी ऑफिस, उप पंजीयक कार्यालय और नगर पालिका/परिषद जुड़े हैं। अब रजिस्ट्री की प्रक्रिया बदल गई है, जहां हर संपत्ति के लिए एक आईडी बनेगी। इस आईडी को संपदा 2.0 में डालने से सारी जानकारी सामने आ जाएगी। फिलहाल, एक महीने तक संपदा-1 और संपदा-2 दोनों सॉफ्टवेयर के जरिए रजिस्ट्री होगी।
अधिकारी का बयान
राजस्व विभाग के अधीक्षक आदित्य सोनकिया ने बताया कि गांवों का पूरा डेटा अभी अपडेट नहीं है और शहरी निकायों के पास सिर्फ प्रॉपर्टी टैक्स भरने वालों की आईडी है। इससे बाकी संपत्तियों का रिकॉर्ड तैयार करने में समस्या हो रही है।