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जयपुर। राजस्थान में खाद्य सुरक्षा योजना के तहत गिवअप अभियान चलाकर सरकार ने 12 लाख अपात्र लोगों के नाम सूची से हटाकर सराहना तो बटोरी, लेकिन इनसे 1500 करोड़ की वसूली पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, 6 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों से 100 करोड़ रुपए की वसूली हो चुकी है।
अपात्रों से 1500 करोड़ की वसूली बाकी
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों से ली गई राशि की जानकारी मांगी थी, जिससे खाद्य विभाग के अधिकारी सक्रिय हो गए। लेकिन, अब तक अपात्र लाभार्थियों से 1500 करोड़ की वसूली नहीं की गई। केंद्र सरकार कभी भी यह रकम मांग सकती है, क्योंकि गेहूं की आपूर्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
अधिकारियों का कहना – वसूली होनी चाहिए
विभाग के कुछ अधिकारियों ने स्वीकार किया कि अपात्र लोगों से वसूली को लेकर चर्चा हुई थी, लेकिन मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। उनका मानना है कि जिस तरह सरकारी कर्मचारियों से वसूली हुई, उसी तरह अपात्र लोगों से भी होनी चाहिए।
1500 करोड़ का हिसाब
- 5 किलो गेहूं प्रति व्यक्ति
- 20 किलो गेहूं प्रति राशन कार्ड
- 240 किलो गेहूं प्रतिवर्ष एक राशन कार्ड पर
- 10 साल में 24 क्विंटल गेहूं एक अपात्र परिवार ने लिया
- ₹64,800 का गेहूं लिया 2700 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से
- 2.5 लाख राशन कार्ड धारकों (10 लाख अपात्र लोग) ने 1500 करोड़ रुपये से अधिक का गेहूं लिया
राजनीतिक कार्यकर्ताओं की संलिप्तता
गिवअप अभियान की जांच में सामने आया कि योजना का गलत फायदा उठाने वालों में कई राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी शामिल थे। सरकार को इस बात की जानकारी है, लेकिन चूंकि राजनीतिक कार्यकर्ता दलों की मजबूत कड़ी होते हैं, इसलिए वसूली पर चुप्पी साधी गई है।