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जयपुर में 17 आरयूबी और अंडरपास: बारिश में जानलेवा तरणताल बन जाते हैं

जयपुर शहर में बनाए गए रेलवे अंडरब्रिज (आरयूबी) और अंडरपास अब ट्रैफिक के लिए बाधा बन गए हैं। इन्हें ट्रैफिक सुगमता के लिए बनाया गया था, लेकिन बारिश के दौरान ये पानी से भर जाते हैं, जिससे यह जानलेवा तरणताल का रूप ले लेते हैं। इन अंडरपास में पानी की निकासी का कोई उचित इंतजाम नहीं है और न ही इनका ऑपरेशन और मेंटेनेंस किया जा रहा है।

बारिश के दौरान समस्याएं

हर बार जब बारिश होती है और इनमें पानी भरता है, तो नगर निगम और जेडीए प्रशासन मड पंप लगाकर पानी निकालने में लग जाते हैं। जयपुर में कुल 17 आरयूबी और अंडरपास हैं, जिनमें से दो पिछले साल ही चालू हुए हैं। बी-2 बायपास और लक्ष्मी मंदिर तिराहे पर बने इन नए अंडरपासों में भी ड्रेनेज सिस्टम पर ध्यान नहीं दिया गया। नतीजतन, दो दिन की बारिश में ही इतना पानी जमा हो गया कि वाहन नहीं निकल पा रहे थे।

प्रॉपर ड्रेनेज सिस्टम की कमी

महेश नगर और मालवीय नगर में 3-3, झोटवाड़ा में 2 सहित कुल 13 रेलवे अंडरब्रिज और 4 अंडरपास हैं। इन सभी में प्रॉपर ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। केवल गुर्जर की थड़ी अंडरपास में ही प्रॉपर ड्रेनेज सिस्टम विकसित किया गया है।

मेंटेनेंस की आवश्यकता

रिटायर्ड एसई पुरुषोत्तम जेसवानी ने बताया कि जेडीए और निगम सिर्फ बनाने पर पैसा खर्च करते हैं, जबकि मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं दिया जाता। किसी भी प्रोजेक्ट का मेंटेनेंस खर्च कुल लागत का 5 प्रतिशत होता है। अगर इस पर ध्यान दिया जाए, तो 95 फीसदी पैसे की बर्बादी रोकी जा सकती है।

समाधान

अंडरपास बनाने से पहले उनमें प्रॉपर ड्रेनेज सिस्टम होना चाहिए। पानी की निकासी के लिए नाले या पंपिंग सिस्टम लगाया जाना चाहिए और इसका नियमित मेंटेनेंस किया जाना चाहिए। सभी सबमर्सिबल पंप की मोटर को समय-समय पर चालू करके देखना चाहिए। ऑपरेशन और मेंटेनेंस के लिए एक अलग टीम बनाई जानी चाहिए, जो सिर्फ यही काम करे।

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