जम्मू
रविवार की रात गांदरबल के गगनगीर इलाके में आतंकवादियों ने सुरंग निर्माण करने वाली कंपनी के प्रवासी मजदूरों पर हमला किया, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। यह हमला तब हुआ जब उमर अब्दुल्ला सरकार ने पांच दिन पहले ही शपथ ली थी। लश्कर-ए-ताइबा से जुड़े आतंकी संगठन, द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। घटना के तुरंत बाद सुरक्षा बलों ने इलाके की घेराबंदी कर सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
सुरक्षा बलों की कार्रवाई
घटना के बाद सुरक्षा बलों ने इलाके में सतर्कता बढ़ा दी है और प्रवासी मजदूरों के कैंप पर अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए गए हैं। वाहनों की तलाशी भी की जा रही है ताकि आतंकियों को पकड़ा जा सके।
पिछले हमले
इससे पहले भी शुक्रवार को आतंकवादियों ने शोपियां में एक बिहार के मजदूर की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस घटना के विरोध में शनिवार को छात्रों और नागरिकों ने विरोध मार्च निकाला था और शांति की अपील की थी।
उमर अब्दुल्ला और अन्य नेताओं की प्रतिक्रिया
उमर अब्दुल्ला ने इस हमले को कायरतापूर्ण बताया और निर्दोष मजदूरों पर हमले की कड़ी निंदा की। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि आतंकवादियों को बख्शा नहीं जाएगा, जबकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस हमले की निंदा की और सुरक्षा बलों को कठोर कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल
यह उमर अब्दुल्ला सरकार के कार्यकाल में प्रवासी मजदूरों पर दूसरा हमला है, जिससे 50,000 से अधिक प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा पर सवाल उठ गए हैं। ऐसे हमलों से कश्मीर में काम कर रहे प्रवासी मजदूरों का माहौल और अधिक चिंताजनक हो गया है।
मजदूरों का योगदान
बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, और अन्य राज्यों के प्रवासी मजदूर कश्मीर में सेब के बागों से लेकर निर्माण परियोजनाओं तक में काम करते हैं।