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यूपी में डीजीपी की नियुक्ति के नियमों में बड़ा बदलाव, जानें पूरी जानकारी

उत्तर प्रदेश सरकार ने डीजीपी (महानिदेशक पुलिस) के पद पर तैनाती के लिए नई नियमावली तैयार की है। इस प्रस्ताव को कैबिनेट बैठक में मंजूरी भी मिल चुकी है। अब आइए जानते हैं कि ये नए नियम क्या हैं और डीजीपी की नियुक्ति कैसे होगी।

डीजीपी की नियुक्ति कौन करेगा?

डीजीपी की नियुक्ति के लिए एक समिति बनाई गई है, जिसके अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर जज होंगे। इस समिति में मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) और उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) से एक-एक सदस्य, अपर मुख्य सचिव गृह और एक रिटायर डीजीपी भी शामिल होंगे।

नई नियमावली में क्या है?

नई नियमावली के अनुसार, डीजीपी की नियुक्ति उस अधिकारी की की जाएगी, जिसकी सेवा अवधि में कम से कम छह महीने शेष हों। डीजीपी का न्यूनतम कार्यकाल दो साल होगा। नियुक्ति के बाद यदि सेवा अवधि केवल छह महीने बची है, तो इसे बढ़ाया जा सकता है। यदि डीजीपी किसी आपराधिक मामले, भ्रष्टाचार या कर्तव्यों के पालन में अक्षम पाए जाते हैं, तो सरकार उन्हें कार्यकाल पूरा होने से पहले हटा सकती है। हटाने की प्रक्रिया में हाईकोर्ट के निर्देशों का पालन भी आवश्यक होगा।

इसके अलावा, डीजीपी पद के लिए केवल वे अफसर चुने जाएंगे, जो वेतन मैट्रिक्स के स्तर 16 में पुलिस महानिदेशक के पद पर कार्यरत हैं।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में प्रकाश सिंह और अन्य बनाम भारत संघ मामले में राज्य सरकारों को एक नया पुलिस अधिनियम बनाने का निर्देश दिया था। इसका उद्देश्य पुलिस व्यवस्था को किसी भी प्रकार के दबाव से मुक्त रखना था, जिससे नागरिकों के अधिकार सुरक्षित रह सकें। हाईकोर्ट ने भी उम्मीद जताई है कि नई नियमावली सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करेगी। नियुक्ति नियमावली-2024 का मुख्य लक्ष्य डीजीपी पद पर उपयुक्त व्यक्ति के चयन के लिए एक स्वतंत्र और पारदर्शी तंत्र स्थापित करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि चयन प्रक्रिया राजनीतिक या कार्यकारी हस्तक्षेप से मुक्त हो।

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