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अलवर नगर निगम का एक नया खेल सामने आया है। पूरे मानसून के दौरान शहर को जलभराव से जूझने के लिए छोड़ देने के बाद, अब आचार संहिता के बीच में नाला सफाई के नाम पर बजट का इस्तेमाल किया जा रहा है। शहर के तीन जोन में नाला सफाई का काम नगर निगम के अधिकारियों ने रामगढ़ उपचुनाव की आचार संहिता के दौरान ही दे दिया, बिना किसी को भनक लगे।
पार्षदों का विरोध
कुछ पार्षदों को जब इस बारे में पता चला, तो उन्होंने इसे आचार संहिता का उल्लंघन और निगम बोर्ड के निर्णयों की अनदेखी बताया। पार्षदों का कहना है कि नाला सफाई जरूरी है, लेकिन इसके लिए नियम बने हुए हैं, जिनका पालन नहीं किया गया।
निर्माण विभाग से टेंडर नहीं
सितंबर 2023 में नगर निगम बोर्ड की बैठक में पार्षदों ने सुझाव दिया था कि नाला सफाई का काम निर्माण विभाग से टेंडर करवा कर करवाया जाए, ताकि सफाई ठीक से हो सके। इसके लिए 4 करोड़ रुपए का बजट भी पास किया गया। टेंडर अप्रेल या मई में होना चाहिए था ताकि मानसून से पहले सफाई पूरी हो सके, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नतीजतन, बारिश के दौरान जलभराव हुआ। जब मामला उठा, तब 27 लाख का टेंडर हुआ, लेकिन पूरे नाले साफ नहीं हो पाए।
बजट का असमान वितरण
- जोन प्रथम: 17 नालों की लंबाई 22,680 मीटर, सफाई के लिए 8.40 लाख का मासिक बजट।
- जोन द्वितीय: 12 नालों की लंबाई 12,970 मीटर, बजट भी 8.40 लाख।
- जोन तृतीय: 7 नालों की लंबाई 9,240 मीटर, बजट 7.10 लाख।
आचार संहिता के दौरान, नगर निगम ने बिना टेंडर के पुराने सफाई ऑर्डर में नाला सफाई का काम जोड़ दिया। 22 अक्टूबर को इसका प्रस्ताव बना और उसी दिन काम के ऑर्डर जारी हो गए। तीनों जोन की सफाई पर 23.94 लाख रुपए का खर्च होगा, जिससे सालाना 2.87 करोड़ का खर्च नगर निगम उठाएगा।
नगर निगम आयुक्त जितेंद्र नरुका का कहना है कि यह पुराने ऑर्डर के तहत काम है, इसलिए आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। वहीं, महापौर घनश्याम गुर्जर ने कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।