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पहला मामला:
नाथिया नवागांव, कांकेर निवासी विकास कुमार विश्वकर्मा ने फोर्स तूफान वाहन खरीदा था, जिसका बीमा ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी, धमतरी से हुआ था।
- घटना: 11 अक्टूबर 2023 को बालोद के ग्राम तरोंद में यह वाहन चलते समय आग लगने से पूरी तरह खाक हो गया।
- विकास ने घटना की लिखित सूचना पुलिस और बीमा कंपनी को दी, लेकिन कंपनी ने क्लेम देने के बजाय वाहन का आरटीओ पंजीयन रद्द कराने की मांग की।
- वाहन 5 साल के लिए फाइनेंस पर था, इसलिए पंजीयन रद्द कराना संभव नहीं था।
फैसला:
- उपभोक्ता आयोग ने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि विकास कुमार को 8,92,273 रुपये मुआवजा, मानसिक पीड़ा के लिए 10,000 रुपये और मुकदमे का खर्च 3,000 रुपये एक माह के भीतर दें।
- मुआवजा न देने पर ब्याज दर 7% से बढ़कर 9% हो जाएगी।
दूसरा मामला:
भानुप्रतापपुर निवासी सरिता पाढ़ी ने अपनी अशोक लीलैंड ट्रक का बीमा एचडीएफसी इंश्योरेंस कंपनी से कराया था।
- घटना: 29 अप्रैल 2021 को ट्रक दुर्घटनाग्रस्त हो गया। मरम्मत के लिए 6,12,550 रुपये का क्लेम मय सबूत बीमा कंपनी को दिया गया, लेकिन कंपनी ने क्लेम पास नहीं किया।
- सरिता ने उपभोक्ता आयोग में शिकायत दर्ज की।
फैसला:
- आयोग ने बीमा कंपनी को 2,37,750 रुपये क्लेम राशि देने का आदेश दिया।
- इसके साथ ही 20 अप्रैल 2022 से रकम अदा होने तक 7% वार्षिक ब्याज और मानसिक पीड़ा के लिए 20,000 रुपये व मुकदमे का खर्च 5,000 रुपये एक माह के भीतर देने का निर्देश दिया।
- समय पर भुगतान न करने पर ब्याज दर 9% हो जाएगी।
नतीजा:
आयोग के इन फैसलों से कांकेर जिले में प्रसन्नता का माहौल है और यह उपभोक्ताओं के अधिकारों की जीत मानी जा रही है।