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नई दिल्ली।
वन नेशन वन इलेक्शन (एक देश-एक चुनाव) बिल को केंद्र सरकार की कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। अब इस बिल को संसद में पेश किया जाएगा। खबरों के अनुसार, अगले हफ्ते मोदी सरकार इस बिल को संसद में ला सकती है। सरकार इस बिल पर आम सहमति बनाने के लिए इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेज सकती है।
पूर्व राष्ट्रपति की राय
भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि केंद्र सरकार को इस पहल पर आम सहमति बनानी चाहिए। उन्होंने इसे राजनीतिक मुद्दे से परे, देशहित में एक अहम कदम बताया।
शिवराज सिंह चौहान ने किया समर्थन
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी इस पहल का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि बार-बार चुनाव कराने से समय और पैसा बर्बाद होता है। उन्होंने बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान तीन महीने का समय प्रचार में खर्च करना पड़ा, जिससे विकास कार्य ठप हो जाते हैं।
विपक्ष कर रहा विरोध
विपक्षी दलों ने इस पहल का विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे केंद्र की सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा होगा। फिलहाल देश में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, लेकिन इस कानून के लागू होने के बाद पूरे देश में एक साथ चुनाव कराए जाएंगे।
असम के सीएम हिमंत बिस्वा की प्रतिक्रिया
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा कि पीएम मोदी चाहते हैं कि देश में एक साथ चुनाव हों, और हम इसका पूरा समर्थन करते हैं।
निष्कर्ष
वन नेशन वन इलेक्शन का उद्देश्य समय और धन की बचत करना है। हालांकि, इसे लेकर देश में अलग-अलग राय है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि संसद में इस बिल पर चर्चा के बाद क्या निर्णय लिया जाता है।