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भोपाल: इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा का बजट सत्र सबसे कम अवधि का होने वाला है। पिछले 25 वर्षों में यह सबसे छोटा बजट सत्र होगा, जिससे विपक्ष ने सरकार को घेर लिया है। विपक्ष का कहना है कि सत्र छोटा होने से महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं हो पाएगी।
बजट सत्र की अवधि कम क्यों?
- 10 मार्च से 24 मार्च तक प्रस्तावित है बजट सत्र।
- सिर्फ 15 दिन के सत्र में 9 बैठकें होंगी।
- सरकार को इन्हीं 9 दिनों में बजट पेश करना और विभागवार चर्चा भी पूरी करनी होगी।
- विपक्ष का सवाल— इतनी कम बैठकों में सारे मुद्दों पर चर्चा कैसे होगी?
विपक्ष की आपत्ति
- राज्यपाल से विपक्ष ने की मुलाकात, सत्र की अवधि बढ़ाने की मांग की, लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ।
- विपक्ष का कहना है कि बजट राज्य के लिए अहम होता है, लेकिन समय की कमी से महत्वपूर्ण मुद्दे और विधायकों के सवाल अधूरे रह जाएंगे।
पहले कितने दिन का होता था बजट सत्र?
- 1999 में दिग्विजय सिंह सरकार का बजट सत्र 52 दिन चला, जिसमें 31 बैठकें हुईं।
- 2015 में शिवराज सरकार ने 24 दिन का बजट सत्र रखा, जिसमें 7 बैठकें हुईं।
- 2024 में मोहन सरकार का बजट सत्र 14 दिन चला, लेकिन केवल 5 बैठकें हुईं।
अब क्या होगा?
- इस बार भी बजट का आकार बढ़ेगा, लेकिन चर्चा के लिए कम समय रहेगा।
- सरकार बजट के साथ नए विधेयक भी पेश करेगी, जिस पर विस्तार से चर्चा मुश्किल हो सकती है।
- विपक्ष का कहना है कि यह लोकतंत्र के लिए सही नहीं है और उन्होंने सरकार को इस फैसले पर घेरा है।