Related Articles
पुजारी संगठन ने राज्य सरकार पर लगाए गंभीर आरोप, ‘मंदिर मुक्ति अभियान’ चलाने की दी चेतावनी
मध्य प्रदेश के मठ-मंदिर पुजारी संगठन ने राज्य के मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। संगठन ने सरकार पर मंदिरों की संपत्ति का गलत इस्तेमाल करने और पुजारियों के अधिकारों का हनन करने का आरोप लगाया है।
क्या हैं पुजारियों की मांगें?
याचिका में संगठन ने सरकार से तीन प्रमुख मांगें रखी हैं और चेतावनी दी है कि अगर मांगें पूरी नहीं हुईं, तो ‘मंदिर मुक्ति अभियान’ शुरू किया जाएगा।
- पुजारियों को संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत मौलिक अधिकार दिए जाएं।
- मंदिरों को उनकी श्रेणी के आधार पर वर्गीकृत करने के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक समिति बनाई जाए।
- मंदिरों पर हुए अतिक्रमण हटाए जाएं और उन्हें सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाए।
सरकार पर क्या आरोप लगाए गए?
- मध्य प्रदेश में करीब 50 हजार मंदिर और 1 लाख हेक्टेयर से अधिक जमीन मंदिरों के नाम पर है।
- संगठन के अनुसार, सरकार इन जमीनों का गलत इस्तेमाल कर रही है।
- मंदिरों की आय का सरकारी अधिकारी दुरुपयोग कर रहे हैं।
किन मंदिरों में गड़बड़ियां मिलीं?
याचिका में कुछ मंदिरों का उल्लेख किया गया है, जहां प्रशासन की गड़बड़ियां सामने आई हैं:
- श्री राम मंदिर (रुंजाजी गांव, देपालपुर)
- कृष्णेश्वर गोमतश्वर मंदिर और जैन मंदिर (गौतमपुरा)
- महादेव मंदिर (बारादाखेड़ी)
- गौरा देवी मंदिर (अटावदा, हातोद)
- राम मंदिर (सोनवाय गांव, राऊ)
- खेड़ापति मंदिर (पांजारिया गांव, महू)
अगला कदम?
अब यह देखना होगा कि हाईकोर्ट इस मामले में क्या फैसला देता है और सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है। अगर पुजारियों की मांगें नहीं मानी गईं, तो ‘मंदिर मुक्ति अभियान’ शुरू हो सकता है।