शाहपुरा: राजस्थान के शाहपुरा जिले के रोपा गांव में दशहरा मनाने का तरीका बिल्कुल अलग है। यहां रावण को जलाया नहीं जाता, बल्कि उसकी वध की जाती है।
क्यों है ये परंपरा खास?
- स्थाई रावण की प्रतिमा: गांव में 85 साल से एक स्थाई रावण की प्रतिमा है, जो सीमेंट और पत्थर से बनी है।
- लक्ष्मण ने लिया था ज्ञान: ग्रामीणों का मानना है कि लक्ष्मण ने रावण से ज्ञान लिया था, इसलिए उसे जलाना उचित नहीं है।
- रावण का गांव: रावण की स्थाई प्रतिमा होने के कारण इस गांव को ‘रावण का गांव’ भी कहा जाता है।
कैसे मनाया जाता है दशहरा?
- रावण वध: दशहरे के दिन राम और लक्ष्मण की भूमिका निभाने वाले लोग रावण की प्रतिमा का वध करते हैं।
- लंका दहन: रावण वध से एक दिन पहले लंका दहन किया जाता है।
- बोली: राम और लक्ष्मण बनने के लिए गांव में बोली लगती है।
- धार्मिक आयोजन: बोली से एकत्रित राशि धार्मिक आयोजनों में खर्च की जाती है।
एक अनोखी परंपरा
यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है और गांव के लोगों के लिए बहुत खास है। यह दिखाता है कि हमारी संस्कृति में कितनी विविधता है और लोग अपनी परंपराओं को कितने प्यार से निभाते हैं।