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सारांश
प्रयागराज:
जूनियर एडेड विद्यालयों में पिछले 15 वर्षों से शिक्षकों की भर्ती नहीं हुई थी। पहले, प्रबंधक भर्ती करते थे, लेकिन विवादों के चलते उस प्रक्रिया पर रोक लग गई। कई सालों से भर्ती न होने के कारण अनेक विद्यालय बिना शिक्षकों के रह गए।
विस्तार
शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते एक और शिक्षक भर्ती फंस गई है। जूनियर एडेड विद्यालयों में प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के 1894 पदों पर भर्ती की परीक्षा विधानसभा चुनाव 2022 से पहले जल्दी-जल्दी पूरी करवाई गई। लेकिन अब नियुक्तियों में आरक्षण का मामला अटक गया है। अभ्यर्थी अब शिक्षा निदेशालय के चक्कर काट रहे हैं।
जूनियर एडेड विद्यालयों में पिछले 15 सालों से कोई भर्ती नहीं हुई थी। पहले प्रबंधक भर्ती करते थे, लेकिन उस प्रक्रिया में विवाद होने के कारण रोक लग गई थी।
विधानसभा चुनाव 2022 से पहले, प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के लिए परीक्षा की ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 3 से 17 मार्च 2021 तक चली। लेकिन आवेदन के लिए सिर्फ 15 दिन का समय दिया गया, जबकि आमतौर पर एक महीने का समय मिलता है। इसके बाद परीक्षा 18 अप्रैल 2021 को हुई।
सात महीने बाद, चुनाव से पहले 15 नवंबर 2021 को परिणाम घोषित किए गए। शिक्षक के लिए 150 में से 97 अंक और प्रधानाचार्य के लिए 200 में से 130 अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया गया। इस मानक के अनुसार, 1894 पदों के लिए 43,610 अभ्यर्थी सफल हुए। परिणाम जारी होते ही गड़बड़ियों के आरोप लगे, जिसके बाद मामला हाईकोर्ट गया।
हाईकोर्ट ने परिणाम को संशोधित करने का आदेश दिया, और पीएनपी ने 6 सितंबर 2022 को संशोधित परिणाम जारी किया। इसके खिलाफ भी कुछ अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए। हाईकोर्ट ने 15 फरवरी 2024 को सभी याचिकाएं खारिज कर दीं और संशोधित परिणाम के आधार पर चयन करने को कहा। उसके बाद से मामला शासन में लंबित है।
नियुक्तियों के लिए मेरिट के अनुसार काउंसलिंग होनी है। लेकिन भर्ती का विज्ञापन जारी करने से पहले आरक्षण निर्धारित नहीं किया गया था। अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि आरक्षण स्कूल, जिला या राज्य स्तर पर लागू होगा। आरक्षण के कारण हजारों शिक्षकों की भर्ती पहले से विवादित हो चुकी है। इसी कारण विभागीय अधिकारी इस भर्ती को पूरा करने के लिए कोई पहल नहीं कर रहे हैं। जबकि परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी शिक्षा निदेशालय के बाहर धरने पर बैठे हैं