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छतरपुर जिले में खाद की बढ़ती मांग का फायदा उठाते हुए नकली खाद माफिया सक्रिय हैं। महोबा और बांदा जिलों में नकली खाद बनाकर ये माफिया इसे छोटे वाहनों के जरिए सप्लाई कर रहे हैं। नकली खाद माफिया कानपुर से नकली बैग छपवाकर असली खाद के नाम पर नकली खाद बेच रहे हैं, जिससे किसान ठगे जा रहे हैं।
नकली खाद का कारण और कैसे हो रही है सप्लाई?
कई किसान उधार खाद के लिए सोसाइटियों पर निर्भर हैं, लेकिन उधारी में उलझे होने के कारण कई किसान नकद में खाद खरीदते हैं। सरकारी खाद सोसाइटियों से सीमित मात्रा में उपलब्ध होता है, और निजी क्षेत्र से भी पर्याप्त सप्लाई नहीं मिल पाती। इस गैप का फायदा उठाकर नकली खाद माफिया किसानों को सस्ती खाद के नाम पर नकली खाद बेच रहे हैं।
कैसे बनाई जा रही नकली खाद?
बांदा-महोबा और चित्रकूट जिलों में नकली खाद बनाने की प्रक्रिया बेहद साधारण है। रेत में भूसा और रंग मिलाकर इसे खाद जैसा रूप दिया जाता है, और फिर असली खाद की बोरियों में भरकर सप्लाई की जाती है।
यूपी में सख्ती, एमपी में हो रही खपत
उत्तर प्रदेश में खाद सप्लाई सिस्टम मजबूत है, जिससे वहां नकली खाद नहीं बिक पाती। इसके विपरीत, मध्य प्रदेश के छतरपुर और टीकमगढ़ जिलों में खाद की कमी के चलते यहां नकली खाद आसानी से बेची जा रही है।
छतरपुर प्रशासन की कार्रवाई
पिछले साल प्रशासन ने कई जगहों पर नकली खाद पकड़ा था, लेकिन पर्याप्त गवाह नहीं मिलने के कारण मामले में ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। इस बार प्रशासन और कृषि विभाग सतर्क है, पर किसानों को खुद भी नकली खाद से सावधान रहने की जरूरत है।
नकली खाद की पहचान कैसे करें?
असली डीएपी खाद का दाना कठोर होता है और इसे नाखून से खुरचने पर आसानी से नहीं छूटता। असली खाद का दाना भूरा या काला होता है और एक समान आकार का होता है। जांच के लिए कुछ दानों को चूने के साथ मसलने पर तीखी गंध आएगी। यदि ये लक्षण नहीं मिलते, तो खाद मिलावटी हो सकती है।
किसानों को सतर्क रहने और नकली खाद से दूर रहने की सलाह दी जाती है, ताकि फसल उत्पादन पर नकारात्मक असर न पड़े।