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कैदियों को दी गई कुकिंग ट्रेनिंग
बीकानेर के केंद्रीय कारागार में 45 कैदियों को स्वादिष्ट और पौष्टिक खाना बनाने की ट्रेनिंग दी गई। यह ट्रेनिंग सीमा सुरक्षा बल (BSF) के हवलदार करणजीत दास ने दी। कैदियों को सब्जियां काटने, दाल पकाने, नाश्ता बनाने और खाना गुणवत्तापूर्ण तरीके से बनाने के गुर सिखाए गए।
ट्रेनिंग की जरूरत क्यों पड़ी?
जेल में हर दिन करीब 1400 लोगों का भोजन तैयार किया जाता है। लेकिन कैदियों के प्रशिक्षित न होने के कारण खाना स्वादिष्ट और पौष्टिक नहीं बन पाता था। इससे कैदियों को भोजन में रुचि नहीं रहती थी और उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता था। इस समस्या को हल करने के लिए जेल अधीक्षक सुमन मालीवाल ने डीजी जेल से चर्चा की और ट्रेनिंग की व्यवस्था करवाई।
कैदियों के लिए दोहरा लाभ
- जेल में पारिश्रमिक: भोजन बनाने का काम करने वाले कैदियों को पारिश्रमिक दिया जाएगा, जो उनके बैंक खाते में जमा होगा।
- रिहाई के बाद रोजगार: ट्रेनिंग के बाद कैदी होटल, ढाबे में काम कर सकते हैं या खुद का ढाबा शुरू कर सकते हैं।
जेल में खाने की व्यवस्था
- नाश्ता: काला चना, नमकीन खिचड़ी, मीठा दलिया, पोहा
- स्पेशल: एक रविवार हलवा और दूसरे रविवार खीर
- सब्जी: रोज सुबह-शाम हरी सब्जी और दाल
- चाय: सुबह और दोपहर
क्या कहा जेल अधीक्षक ने?
जेल अधीक्षक सुमन मालीवाल ने बताया कि ट्रेनिंग का उद्देश्य कैदियों को आत्मनिर्भर बनाना है। यह न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा बल्कि उन्हें रिहाई के बाद रोजगार के लिए सक्षम बनाएगा।
नैतिक शिक्षा का भी हिस्सा
कैदियों को यह सिखाया जा रहा है कि दूसरों से छीनने के बजाय मेहनत कर खुद के लिए और दूसरों के लिए खाना बनाएं। इस तरह, यह पहल उनके जीवन को एक नई दिशा देने की कोशिश है।