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खेती की जमीन के लिए बड़ा बदलाव: अब खसरे पर दर्ज होगा आधार नंबर

मध्यप्रदेश में खेती की जमीन पर होगा आधार आधारित डिजिटल रिकॉर्ड
मध्यप्रदेश सरकार ने खेती की जमीन के हर खसरे पर आधार नंबर दर्ज करने का फैसला किया है। इसके साथ ही पूरी जमीन की सैटेलाइट मैपिंग कर आधार बेस्ड डिजिटल रिकॉर्ड बनाया जाएगा। इससे मुआवजे और बीमा से जुड़ी गड़बड़ियों को रोकने में मदद मिलेगी।

डिजिटल लैंड रिकॉर्ड का काम शुरू

  • कृषि विभाग ने राजस्व विभाग की मदद से जमीन की मैपिंग का काम शुरू कर दिया है।
  • हर खसरे पर जमीन मालिक का आधार नंबर दर्ज होगा।
  • यदि जमीन के एक खसरे पर कई मालिक हैं, तो सभी के आधार नंबर दर्ज किए जाएंगे।
  • डिजिटल रिकॉर्ड से जमीन के मालिक की पहचान सीधे खसरे से हो सकेगी।

इससे क्या होगा फायदा?

  1. बीमा और मुआवजे में पारदर्शिता:
    • मुआवजे और बीमा में डुप्लीकेसी को रोका जा सकेगा।
  2. कर्ज की गड़बड़ियों पर लगाम:
    • आधार नंबर से जुड़े रिकॉर्ड से दो जगह से कर्ज लेने के मामलों में कमी आएगी।
  3. तुरंत पहचान:
    • डिजिटल रिकॉर्ड से जमीन मालिक की तुरंत पहचान हो सकेगी।
  4. सटीक सीमांकन:
    • जमीन के सीमांकन में गड़बड़ियों को भी खत्म किया जा सकेगा।

खेतों की मौजूदा स्थिति

  • प्रदेश में 151.91 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि।
  • कुल 1 करोड़ किसान।
  • 76 लाख किसान 5 एकड़ या उससे कम जमीन के मालिक।
  • 48 लाख किसान ढाई एकड़ या उससे कम जमीन के मालिक।
  • 55447 गांवों की जमीन का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार।
  • 4.20 करोड़ खसरे दर्ज।

सरकार का बयान
कृषि मंत्री एंदल सिंह कंसाना ने बताया कि प्रदेश सरकार किसानों के हित में काम कर रही है। खेती की जमीन की सैटेलाइट मैपिंग और आधार लिंकिंग से पारदर्शिता आएगी और किसानों को लाभ मिलेगा।

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