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मखाना, जो पहले केवल व्रतों और धार्मिक अनुष्ठानों में इस्तेमाल होता था, अब एक सुपर फूड के रूप में देशभर में लोकप्रिय हो रहा है। खासकर बिहार के मिथिलांचल इलाके का मखाना अब भारत के दक्षिणी राज्यों में भी मांग में बढ़त देख रहा है। यह सेहत के लिए फायदेमंद होने के कारण कई तरह के खाद्य उत्पादों में इस्तेमाल किया जा रहा है।
मखाने की बढ़ती मांग
मखाने को अब स्नैक्स, खीर, रायता, कढ़ी, दूध के शेक जैसे कई रूपों में खाया जा रहा है। इसके स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण इसकी लोकप्रियता बढ़ी है। इसके साथ ही जीआई टैग मिलने से मखाने की मांग में और भी तेजी आई है। अब बाजारों में विभिन्न फ्लेवर वाले फ्राइड मखाने भी उपलब्ध हैं। इसके साथ ही मखाने के दामों में भी पिछले कुछ वर्षों में तीन गुना तक वृद्धि हो चुकी है। इसका भाव अब 900 से 2400 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गया है।
मखाना क्यों है फायदेमंद?
मखाने में पोषक तत्व होते हैं, जो शरीर को तंदुरुस्त रखने में मदद करते हैं। यह बीमारियों के इलाज में भी असरदार माना जाता है। लोग इसे घी में भूनकर, शेक के रूप में या बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक नाश्ते के रूप में खाते हैं। इसके औषधीय गुण और एंटी ऑक्सीडेंट्स इसे और भी खास बनाते हैं।
दक्षिण भारत में मखाने की बढ़ती मांग
दक्षिण भारत में पहले मखाने की मांग सीमित थी, लेकिन अब यह राज्य के अलग-अलग हिस्सों में तेजी से बढ़ रहा है। मखाना व्यवसायी रामानंद सुरेखा के अनुसार, अब दक्षिण भारत में ज्यादातर लोग मखाने का सेवन चाय के साथ स्नैक के रूप में या फिर खीर और शेक के रूप में कर रहे हैं।
विदेशों में मखाने की लोकप्रियता
मखाने का उपयोग अब विदेशों में भी बढ़ रहा है। यह खासतौर पर मोटापा घटाने और सेहत के अन्य लाभों के लिए उपयोग किया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूरोपीय देशों में मखाना एक सुपर फूड के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। जीआई टैग मिलने के बाद मखाने की बिक्री में विदेशों में भी वृद्धि हुई है।
निष्कर्ष
मखाना अब केवल एक धार्मिक उत्पाद नहीं रह गया है, बल्कि यह एक सेहतमंद स्नैक और सुपर फूड के रूप में सभी की पसंद बन चुका है। इसकी बढ़ती मांग और स्वास्थ्य लाभ इसे एक महत्वपूर्ण खाद्य सामग्री बना रहे हैं।