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मैसेजिंग एप्स बन रहे हैं सुरक्षा एजेंसियों के लिए सिरदर्द, ऑनलाइन कट्टरपंथ को रोकना चुनौती

सुरक्षा एजेंसियों के लिए ऑनलाइन कट्टरपंथ को रोकना एक बड़ी चुनौती बन गई है। खासकर सुरक्षित मैसेजिंग एप्स जैसे सिग्नल, टेलीग्राम, वाइबर और एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन वाले व्हाट्सएप का उपयोग कट्टरपंथी तत्वों द्वारा एक जैसे विचारधारा वाले लोगों से जुड़ने के लिए किया जा रहा है। ये एप्स और डार्क वेब कट्टरपंथियों को अपनी विचारधारा फैलाने के लिए एक आसान माध्यम प्रदान कर रहे हैं।

गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा में कहा कि साइबर तकनीक का व्यापक इस्तेमाल अब कट्टरपंथी विचारधारा के प्रचार का मुख्य साधन बन गया है। इसके कारण साइबरस्पेस पर निगरानी रखी जा रही है। राज्य पुलिस और NIA द्वारा 67 मामलों की जांच की जा रही है, जिसमें 325 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और 336 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किए गए हैं।

सरकार ने 2024 तक 9,845 URLs (जिनमें कट्टरपंथी सामग्री भी शामिल है) को ब्लॉक करने का निर्देश दिया है। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) को अवैध सामग्री हटाने के लिए “टेक डाउन नोटिस” जारी करने का अधिकार दिया गया है।

इसके अलावा, सुरक्षा एजेंसियां कट्टरपंथ से संबंधित जानकारी को साझा करके इसे रोकने के लिए काम कर रही हैं और इंटरपोल के साथ मिलकर ऑनलाइन कट्टरपंथ के खिलाफ प्रयास कर रही हैं।

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