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मंगलवार को कलेक्टर ऋषव गुप्ता ने मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निरीक्षण किया, जहां कई अव्यवस्थाएं सामने आईं। मेल मेडिकल वार्ड में मरीजों को फर्श पर इलाज मिलता देख कलेक्टर नाराज हो गए और अस्पताल मैनेजर यशवंत सोलंकी को फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि मरीजों को पलंग पर इलाज मिलना चाहिए, यह डॉक्टरों की नहीं, बल्कि अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी है।
महिला वार्डों में सुधार के लिए नई व्यवस्था
महिला वार्डों की अव्यवस्था को सुधारने के लिए 5 महिला कार्यपालिक मजिस्ट्रेट तैनात किए गए हैं। ये अधिकारी सोमवार से रविवार तक नियमित निरीक्षण करेंगे ताकि अस्पताल की व्यवस्था सही बनी रहे।
प्रमुख निर्देश और सुधार के आदेश
- मरीजों को फर्श की बजाय पलंग पर इलाज दिया जाए।
- प्रसूता वार्ड में रात 9 बजे के बाद पुरुष अटेंडर को अनुमति नहीं होगी, दिन में परिजन आ सकते हैं।
- दंत रोग विभाग की ओपीडी एक ही स्थान पर होगी।
- वार्ड में आशा कार्यकर्ताओं को सक्षम अधिकारी की अनुमति के बिना प्रवेश नहीं मिलेगा।
- मेडिकल और पैरामेडिकल टीम की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
- सुरक्षा गार्ड अपनी पहचान के साथ तैनात रहें।
- आकस्मिक चिकित्सा कक्ष में मरीजों को प्राथमिक इलाज देने के बाद ही वार्ड में शिफ्ट किया जाए।
- अस्पताल अधिकारी नियमित निरीक्षण करें और हर सप्ताह सीईओ के साथ बैठक करें।
निगरानी और जिम्मेदार अधिकारी
कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी. गौड़ा को अस्पताल की व्यवस्थाओं की निगरानी का नोडल अधिकारी नियुक्त किया है। वे हर सप्ताह अस्पताल अधीक्षक और अन्य अधिकारियों के साथ समीक्षा करेंगे।
मरीजों से लिया फीडबैक
कलेक्टर ने मरीजों से उनकी बीमारी, इलाज और भोजन की गुणवत्ता को लेकर बातचीत की। उन्होंने आईसीयू और नेत्र रोग विभाग में भर्ती मरीजों से भी उनकी स्थिति के बारे में जानकारी ली।
निरीक्षण के दौरान मौजूद अधिकारी
निरीक्षण के दौरान अस्पताल अधीक्षक डॉ. रंजीत बड़ोले, सीएमएचओ डॉ. ओ.पी. जुगतावत, सिविल सर्जन डॉ. अनिरुद्ध कौशल, आरएमओ डॉ. एम.एल. कलमे, सहायक प्रबंधक यशवंत सोलंकी समेत अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
कलेक्टर ने सख्त लहजे में कहा कि सभी अधिकारी आपसी समन्वय से काम करें और मरीजों को बेहतर इलाज दें।