राजस्थान समेत चार राज्यों में मोबाइल कनेक्टिविटी की थर्ड पार्टी ऑडिट शुरू हो गई है। मोबाइल उपभोक्ताओं को कॉल ड्रॉप, नेटवर्क कनेक्टिविटी, धीमी डेटा स्पीड और खराब कवरेज जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन परेशानियों को समझने और हल करने के लिए भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने यह जांच शुरू की है।
क्या हो रही है जांच?
- कॉल ड्रॉप, कवरेज एरिया, डाउनलोड-अपलोड स्पीड और सर्विस की क्वालिटी की जांच की जा रही है।
- ट्राई यह काम राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब के चुनिंदा शहरों में कर रहा है।
- मोबाइल ऑपरेटरों को इस प्रक्रिया से दूर रखा गया है, जिससे जांच में पारदर्शिता बनी रहे।
राजस्थान की स्थिति
- राज्य में 1 लाख 24 हजार बीटीएस (मोबाइल टावर से जुड़े उपकरण) हैं, जो 40 हजार मोबाइल टावरों पर लगे हैं।
- करीब 6 से 8 हजार और बीटीएस की जरूरत है, लेकिन काम धीमा है।
मुख्य समस्याएं
- 2% तक कॉल ड्रॉप को तकनीकी खामी मानकर छूट दी जाती है। इससे ज्यादा होने पर ही जुर्माना लगता है।
- रिपोर्ट में कॉल ड्रॉप 2% से कम बताई जाती है, जबकि असल में परेशानी ज्यादा है।
- उपभोक्ता ज्यादातर शिकायत दर्ज नहीं कराते, इसलिए रिपोर्ट में सही स्थिति नहीं दिखती।
राजस्थान में ऑपरेटर और उनके उपभोक्ता
- जियो : 2.61 करोड़
- एयरटेल : 2.29 करोड़
- वोडाफोन आइडिया : 94 लाख
- बीएसएनएल : 56 लाख
अब इस ऑडिट से असली समस्याएं सामने आएंगी और उम्मीद है कि मोबाइल नेटवर्क में सुधार होगा।