छत्तीसगढ़ में हुए नगरीय निकाय चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी की बड़ी हार हुई, जबकि 51 वार्डों में से सिर्फ 8 वार्डों में ही पार्टी के पार्षद प्रत्याशी जीत पाए। इस हार के कारणों की समीक्षा के लिए सतनाम भवन में बैठक आयोजित की गई, जहां नेताओं पर भितरघात के आरोप लगे और कई शिकायती आवेदन भी जमा किए गए।
चुनाव में संगठन ने नहीं दिया साथ – पार्षद प्रत्याशी
बैठक में हारे हुए पार्षद प्रत्याशियों ने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान संगठन ने उनका साथ नहीं दिया। चिखली क्षेत्र से एक पार्षद प्रत्याशी तो पूर्व महापौर हेमा देशमुख के खिलाफ पोस्टर लेकर समर्थकों के साथ पहुंच गया, लेकिन समर्थकों को अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई।
महापौर प्रत्याशी ने ईवीएम पर उठाए सवाल
महापौर प्रत्याशी निखिल द्विवेदी ने ईवीएम में गड़बड़ी का आरोप लगाया और कहा कि इसी कारण कांग्रेस को हर वार्ड में हार मिली। उन्होंने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने मेहनत से काम किया, लेकिन अब कांग्रेस सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाएगी।
बैठक में वन-टू-वन चर्चा और शिकायतों की जांच
समीक्षा बैठक में संगठन पदाधिकारियों ने शिकायतें सुनीं और लिखित आवेदन लिए। जिन नेताओं पर भितरघात के आरोप लगे, उन्हें वन-टू-वन चर्चा के लिए बुलाया गया। संगठन की ओर से कहा गया कि यदि कोई शिकायत है, तो उसके साथ साक्ष्य भी देना होगा, ताकि प्रदेश स्तर पर कार्रवाई हो सके।
कमजोर चुनावी प्रबंधन बना हार का कारण
पार्षद प्रत्याशियों ने स्वीकार किया कि चुनावी प्रबंधन कमजोर था, जिससे भाजपा को फायदा मिला। उन्होंने यह भी कहा कि नगर में पिछले पांच सालों में कोई बड़े विकास कार्य नहीं हुए, जिससे जनता को जवाब देना मुश्किल हो गया और हार का सामना करना पड़ा।
बैठक में मौजूद नेता
बैठक में चुनाव प्रभारी बृजेश शर्मा, गिरीश देवांगन, महापौर प्रत्याशी निखिल द्विवेदी, शहर कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष कुलबीर सिंह छाबड़ा और कार्यवाहक अध्यक्ष रमेश डाकलिया सहित कई अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।
कुल मिलाकर, कांग्रेस नेताओं के बीच हार को लेकर आपसी मतभेद खुलकर सामने आए, और संगठन की कमजोरी को हार का बड़ा कारण बताया गया।