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जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय के महारानी कॉलेज में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ। इस अवसर पर पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी की पुस्तक “स्त्री देह से आगे” पर चर्चा की गई। इस चर्चा ने उपस्थित लोगों को गहरे विचारों में डाल दिया।
विवाह केवल शरीर का नहीं, आत्मा का मिलन
गुलाब कोठारी ने कहा कि विवाह केवल शरीर का मेल नहीं, बल्कि आत्मा का संबंध होता है। जब एक स्त्री विवाह के बाद नए घर में प्रवेश करती है, तो वह आत्मा के धर्म को अपनाती है। उन्होंने बताया कि मंत्रोच्चार का गहरा अर्थ होता है, जो विवाह को सिर्फ सामाजिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक प्रक्रिया बनाता है।
स्त्री की भूमिका और शक्ति
- स्त्री पति के व्यक्तित्व को संवारने और परिवार को मजबूत बनाने का कार्य करती है।
- विवाह से पहले ही वह अपने पति के संकल्प को अपने अनुरूप ढालती है।
- श्रद्धा, वात्सल्य, मित्रता, स्नेह और प्रेम जैसे गुणों से वह परिवार को मजबूती देती है।
- स्त्री केवल पति और संतान के लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज और वंश परंपरा के लिए महत्वपूर्ण होती है।
आधुनिक शिक्षा और संस्कृति पर सवाल
गुलाब कोठारी ने कहा कि आज की शिक्षा हमें केवल डिग्री देती है, लेकिन जीवन जीने की समझ नहीं सिखाती। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मां की भूमिका सबसे अहम होती है, क्योंकि वह बच्चे को संस्कार और नैतिकता सिखाती है।
अन्न और मन की शुद्धता का महत्व
गुलाब कोठारी ने बताया कि शरीर और मन का निर्माण भोजन से होता है।
- अगर अन्न शुद्ध नहीं होगा, तो मन भी शुद्ध नहीं रहेगा।
- बाहरी खान-पान और रसायनयुक्त भोजन हमारी संस्कृति और संवेदनाओं को कमजोर कर रहे हैं।
- हमें अपनी जड़ों की ओर लौटकर शुद्ध अन्न और विचारों को अपनाना होगा।
विवाह की उम्र पर विचार
हिमाचल सरकार ने विवाह की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष करने का फैसला लिया है। इस पर गुलाब कोठारी ने कहा कि कानून अपनी जगह है, लेकिन हमें अपने विवेक से निर्णय लेना चाहिए।
- आज की पढ़ाई सिर्फ नौकरी तक सीमित हो गई है, लेकिन हमें जीवन के सही मूल्यों को सीखना होगा।
- स्त्री और पुरुष की भूमिकाएं अलग-अलग होती हैं, लेकिन दोनों को संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
राष्ट्र निर्माण में महिलाओं की भूमिका
गुलाब कोठारी ने सभी से महिला संस्थानों में जाकर जागरूकता फैलाने की अपील की।
- स्त्रियों को अपने ज्ञान और क्षमताओं को पहचानना होगा।
- समाज में स्त्री और पुरुष को प्रतिस्पर्धी नहीं, बल्कि एक-दूसरे के पूरक के रूप में देखना चाहिए।
- मां केवल शरीर ही नहीं, आत्मा का भी निर्माण करती है, इसलिए मातृत्व को सबसे ऊंचा स्थान दिया जाना चाहिए।
कुलपति का संदेश
राजस्थान विश्वविद्यालय की कुलपति अल्पना कटेजा ने कहा कि गुलाब कोठारी के लेख जीवन की वास्तविक समस्याओं को गहराई से उजागर करते हैं।
- उनकी पुस्तक “स्त्री देह से आगे” समाज में स्त्री और पुरुष को समान रूप से मजबूत बनाने का संदेश देती है।
- हमें यह समझना होगा कि वास्तविक विकास केवल बाहरी सफलता में नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धता और मानवीयता को बढ़ाने में है।
गुलाब कोठारी के विचारों ने स्त्री की शक्ति, विवाह के महत्व और समाज में महिलाओं की भूमिका पर एक नई सोच दी। उन्होंने सभी को प्रेरित किया कि स्त्रियों को केवल शरीर तक सीमित न रखा जाए, बल्कि उनकी आत्मिक और बौद्धिक क्षमता को भी पहचाना जाए।