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मध्य प्रदेश के अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (APSU), रीवा में रामायण पीठ स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है। इस शोध केंद्र में श्रीराम के जीवन और रामायण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन और रिसर्च किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय शोध केंद्र बनेगा रामायण पीठ
✅ यह पीठ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के सभी ग्रंथों का संग्रह करेगा, जो श्रीराम के जीवन से संबंधित हैं।
✅ अयोध्या के अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के साथ एमओयू हो चुका है।
✅ अब तक दो राष्ट्रीय संगोष्ठियां पूरी हो चुकी हैं, जिनमें “वनवासी राम” और “दंडकारण्य में श्रीराम” विषयों पर चर्चा हुई।
✅ शोधार्थियों और धार्मिक विद्वानों के लिए यह केंद्र अध्ययन का प्रमुख स्थान बनेगा।
चित्रकूट और ओरछा में भी हो सकती है स्थापना
📍 श्रीराम ने अपने वनवास काल का लंबा समय चित्रकूट में बिताया था, इसलिए यहां भी इस शोध पीठ की स्थापना पर विचार हो रहा है।
📍 ओरछा में भगवान श्रीराम को राजा के रूप में पूजा जाता है, इसलिए यहां भी इसे स्थापित करने की योजना बनाई जा रही है।
श्रीराम वन गमन पथ से जुड़ा होगा रामायण पीठ
🛤️ मध्य प्रदेश सरकार 1450 किलोमीटर लंबा “श्रीराम वन गमन पथ” धार्मिक कॉरिडोर बना रही है।
🛤️ इसमें चित्रकूट, सतना, रीवा, पन्ना, शहडोल, जबलपुर, कटनी, अनूपपुर, विदिशा, होशंगाबाद सहित कई जिले शामिल होंगे।
🛤️ इस परियोजना के तहत विभिन्न तीर्थ स्थलों का विकास किया जाएगा।
रीवा में रामायण पीठ की अहमियत
🔹 रीवा श्रीराम के वन गमन मार्ग का हिस्सा है, इसलिए यहां रामायण पीठ की स्थापना महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
🔹 इस शोध केंद्र से विंध्य क्षेत्र को आध्यात्मिक पर्यटन के रूप में बढ़ावा मिलेगा।
🔹 एपीएस विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेंद्र कुड़रिया ने बताया कि इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर का शोध केंद्र बनाने की योजना है।
🔹 रामायण और श्रीराम से जुड़े हर पहलू पर शोध किया जाएगा, जिससे धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से यह क्षेत्र वैश्विक पहचान बनाएगा।
निष्कर्ष
रामायण पीठ का उद्देश्य श्रीराम के जीवन से जुड़े तथ्यों पर शोध करना और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है। इससे मध्य प्रदेश विशेष रूप से रीवा, चित्रकूट और ओरछा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण केंद्र बन जाएंगे।