छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र में केलो नहर परियोजना की जमीन का मुद्दा गरमा गया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि परियोजना की जमीन जिंदल इंडस्ट्रीज को दे दी गई है, लेकिन राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने इससे अनभिज्ञता जताई। इस पर विपक्ष ने विधानसभा समिति से जांच की मांग की, लेकिन मंत्री ने विभागीय जांच कराने की बात कही, जिससे विपक्षी विधायक नाराज होकर वॉकआउट कर गए।
क्या है पूरा मामला?
🔹 कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने प्रश्नकाल में मंत्री से पूछा – क्या केलो परियोजना की जमीन किसी इंडस्ट्री को दी गई है?
🔹 मंत्री वर्मा ने जवाब दिया कि सरकार के पास इस बारे में कोई जानकारी नहीं है।
🔹 उमेश पटेल ने बताया कि अगस्त 2024 में जोरापाली गांव की 22 खसरों की जमीन जिंदल इंडस्ट्रीज को ट्रांसफर की गई थी।
🔹 पटेल और ग्रामीणों ने कलेक्टर से शिकायत की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का आरोप
🔸 भूपेश बघेल ने सवाल उठाया कि बिना मंत्री की अनुमति के इतनी बड़ी जमीन का लैंडयूज कैसे बदल दिया गया?
🔸 उन्होंने विधानसभा समिति से जांच की मांग की, लेकिन मंत्री विभागीय जांच कराने की बात कहते रहे।
🔸 बघेल ने कहा – जो अफसर खुद जमीन ट्रांसफर कर रहे हैं, वे मंत्री के खिलाफ कैसे जांच करेंगे?
विपक्ष का वॉकआउट
➡️ जब मंत्री ने सदन समिति से जांच कराने से इनकार कर दिया, तो भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों ने नारेबाजी शुरू कर दी।
➡️ सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करते हुए विधायकों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
ई-वे बिल की जांच पर भी उठा सवाल
➡️ भाजपा विधायक अनुज शर्मा ने ई-वे बिल जांच के नाम पर अवैध वसूली का मुद्दा उठाया।
➡️ इस पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा कि ऐप के जरिए गाड़ियों की जांच होती है, कोई अवैध वसूली की शिकायत नहीं मिली है।
➡️ उन्होंने बताया कि अब तक 31 करोड़ रुपये की शास्ति (जुर्माना) वसूला गया है।
👉 अब देखना होगा कि केलो परियोजना की जमीन को लेकर सरकार क्या कदम उठाती है और क्या इस मामले में कोई जांच होती है या नहीं।