नेपाल की राजधानी काठमांडू पिछले हफ्ते भयंकर बाढ़ से जलमग्न हो गई जब रिकॉर्डतोड़ बारिश ने बागमती नदी को अपनी सीमाओं से बाहर बहने पर मजबूर कर दिया। इस बाढ़ और भूस्खलन से 200 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों घर बर्बाद हो गए हैं। यह काठमांडू घाटी में हाल के वर्षों की सबसे बड़ी त्रासदी मानी जा रही है।
बाढ़ और भूस्खलन के कारण क्या थे?
इस आपदा के पीछे प्रमुख कारण जलवायु परिवर्तन और काठमांडू के आस-पास बागमती नदी पर बेतरतीब शहरीकरण को माना जा रहा है।
काठमांडू में कितनी बारिश हुई?
गुरुवार से रविवार के बीच, काठमांडू घाटी में लगभग 240 मिमी बारिश हुई, जो 2002 के बाद की सबसे बड़ी बारिश थी। कुछ क्षेत्रों में बारिश की मात्रा 322.2 मिमी तक पहुँच गई थी।
बाढ़ में कितने लोगों की जान गई?
नेपाल पुलिस मुख्यालय ने बुधवार की सुबह बताया कि बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या 228 हो गई है। इसके अलावा, 25 लोग अभी भी लापता हैं और 158 घायल हैं।
राहत कार्य की स्थिति क्या है?
नेपाली सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बलों द्वारा राहत कार्य तेज़ी से चलाया जा रहा है। 4000 से अधिक लोगों को हेलीकॉप्टर, ज़िपलाइन और राफ्ट की मदद से बचाया गया है।
बाढ़ का सबसे बड़ा कारण क्या था?
विशेषज्ञों के अनुसार, बाढ़ का प्रमुख कारण अराजक शहरी विकास और नदी के किनारों पर बेतरतीब निर्माण है। पिछले 40-50 वर्षों में नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित करते हुए वहाँ घर और सड़कें बनाई गईं, जिससे बाढ़ की समस्या और गंभीर हो गई।
जलवायु परिवर्तन का असर?
विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन ने नेपाल में बाढ़ की आवृत्ति और तीव्रता को बढ़ा दिया है। लगातार बदलते मौसम और अनियमित बारिश के कारण बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि नदी प्रबंधन की कमी भी एक प्रमुख कारण है।
भविष्य में बाढ़ कैसे रोकी जा सकती है?
विशेषज्ञों का मानना है कि बाढ़ से निपटने के लिए बेहतर शहरी योजना और जल निकासी व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता है। साथ ही, सरकार को चेतावनी प्रणाली और आपदा प्रबंधन के उपायों को मजबूत करने की सलाह दी गई है।