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जीत में सोफी डिवाइन का जलवा

सोफी डिवाइन को हमेशा न्यूजीलैंड की पारी का अहम हिस्सा माना जाता है। उन्होंने ओपनर के बजाय चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया, जो कि टीम के लिए फायदेमंद साबित हुआ। भारतीय गेंदबाजों के मध्य ओवरों में काबू पाने के बाद सोफी ने पारी को संभाला और उनके लय पकड़ने के बाद भारतीय गेंदबाजों के लिए उन्हें रोकना मुश्किल हो गया।

सोफी ने शानदार नाबाद अर्धशतक के साथ टीम को 160 रन तक पहुंचाने में मदद की। उन्होंने 36 गेंदों में 57 रन बनाये, जिसमें सात चौके शामिल थे। उनके 158 से ऊपर के स्ट्राइक रेट से स्पष्ट होता है कि उन्होंने आक्रामक खेल का प्रदर्शन किया। इसके साथ ही, उन्होंने लगातार एक-दो रन लेकर भारतीय गेंदबाजों पर दबाव बनाए रखा।

जब सोफी खेल रही थीं, तब भारतीय गेंदबाज, खासकर स्पिनर, बेबस नजर आए। भारत के समय ज्यादा लेने पर आखिरी ओवर में तीन फील्डरों को बाहर रखने की पेनल्टी लगी। इस पर भारत ने सर्किल से बाहर रखे तीनों फील्डरों को लेग साइड पर रखा। सोफी ने इस स्थिति में बाहर निकलकर ऑफ साइड में चौका लगाकर अपनी काबिलियत साबित की।

न्यूजीलैंड के गेंदबाजों का दमखम

न्यूजीलैंड के गेंदबाजों ने शुरुआत से ही सटीक गेंदबाजी की। उनकी गेंदबाजी से ऐसा लगा कि उन्होंने बहुत अच्छा होमवर्क किया है। न्यूजीलैंड ने इस साल 13 में से 12 मैच हारकर मैदान में उतरी थी, लेकिन उनकी गेंदबाजी ने ऐसा प्रदर्शन किया जैसे वे बहुत मजबूत टीम हैं।

पेस गेंदबाज रोज़मेरी मेयर ने मात्र 19 रन देकर चार विकेट लेकर भारतीय पारी को ढहाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ली ताहूहू ने दीप्ति, जेमिमा और रिचा के विकेट लेकर भारतीय मध्यक्रम को तोड़ने में मदद की। ऑफ स्पिनर कार्सन ने दोनों ओपनरों शेफाली और मंधाना के विकेट निकालकर भारतीय पारी की शुरुआत को कमजोर कर दिया।

पावरप्ले की भूमिका

न्यूजीलैंड ने पावरप्ले में शानदार प्रदर्शन किया। कीवी गेंदबाजों ने कसी गेंदबाजी से भारत पर दबाव बना दिया। उन्होंने पहले छह ओवरों में सिर्फ 43 रन देकर तीन बल्लेबाजों को आउट कर दिया। इस स्कोर तक पहुंचते-पहुंचते भारत के दोनों ओपनर और हरमनप्रीत कौर भी पवेलियन लौट गईं।

भारत के सामने 161 रन का विशाल लक्ष्य होने के कारण ओपनिंग जोड़ी की जिम्मेदारी बहुत महत्वपूर्ण थी। हालांकि, शेफाली केवल दो रन बनाकर आउट हो गईं। मंधाना पर रन गति बढ़ाने का दबाव महसूस होने लगा, जिसके कारण उन्होंने कार्सन की गेंद को सीमा पर खेलते हुए कैच थमा दिया।

भारत की बल्लेबाजी में साझेदारी की कमी

भारतीय बल्लेबाजों की सबसे बड़ी कमी साझेदारी बनाने में असफलता रही। बड़ा लक्ष्य होने के दबाव के कारण बल्लेबाज बड़े शॉट खेलने की कोशिश कर रहे थे, जिससे वे अपने विकेट गंवा रहे थे। यदि भारतीय बल्लेबाज साझेदारी बनाने की कोशिश करते, तो वे गेंदबाजों पर अधिक दबाव डाल सकते थे।

दीप्ति शर्मा भी इस मैच में अपनी फॉर्म में नहीं दिखीं। भारतीय कप्तान हरमनप्रीत ने उन्हें पावरप्ले में गेंदबाजी पर लगाया, लेकिन वह चार ओवरों में 45 रन देकर एक भी विकेट नहीं निकाल सकीं।

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