नई दिल्ली | 22 अक्टूबर, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय में हाईकोर्ट के जजों को निर्देश दिया है कि यदि वे किसी मुकदमे का केवल ऑपरेटिव भाग सुनाते हैं, तो पूरा विस्तृत फैसला दो से पांच दिनों के भीतर जारी करना अनिवार्य होगा। अगर जज व्यस्तता के कारण ऐसा नहीं कर सकते, तो उन्हें फैसला सुरक्षित रखना चाहिए।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की बेंच ने यह आदेश गुजरात हाईकोर्ट के एक मामले में दिया, जहां संबंधित जज ने एक साल बाद पूरा फैसला जारी किया, जबकि ऑपरेटिव भाग पहले ही सुना दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने इसे कानून का गंभीर उल्लंघन माना।
कोर्ट ने हाईकोर्ट के जजों के लिए तीन विकल्प सुझाए हैं:
- खुली अदालत में पूरा फैसला सुनाएं।
- फैसला सुरक्षित रखें।
- ऑपरेटिव भाग सुनाते समय बताएं कि विस्तृत आदेश कब जारी होगा, जो दो से पांच दिनों के भीतर होना चाहिए।
लाइव स्ट्रीम देखकर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह खेदजनक है कि हाईकोर्ट के जज को एक साल बाद एहसास हुआ कि उन्होंने याचिका खारिज करने के कारण स्पष्ट नहीं किए। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले से पहले उस दिन की हाईकोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग भी देखी, जब जज ने ऑपरेटिव भाग सुनाया था।
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने अपने फैसले में कुछ हाईकोर्ट जजों के व्यवहार पर चिंता जताई और कहा कि इससे न्यायपालिका की छवि प्रभावित होती है। उन्होंने यह भी अफसोस जताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कई बार ठीक से नहीं किया जा रहा।