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अब मक्का का गढ़ नहीं रहा बांसवाड़ा, किसानों का गेहूं उत्पादन की ओर रुझान

बांसवाड़ा। राजस्थान का बांसवाड़ा जिला कभी मक्का उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था, लेकिन अब यहां गेहूं की फसल का रकबा तेजी से बढ़ रहा है। इस साल रबी सीजन में मक्का की जगह गेहूं की फसलें ज्यादा देखने को मिल रही हैं। कृषि विभाग ने इस साल गेहूं के लिए 1,15,000 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा है, जो कि कुल फसल क्षेत्र का 75.11% है। किसान अब सिर्फ टुकड़ी गेहूं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि 10-12 तरह की किस्मों का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे गेहूं की स्थानीय मांग भी पूरी हो रही है। हालांकि, इसका असर अरहर और चना उत्पादन पर पड़ रहा है, जिनका क्षेत्रफल कम हुआ है।

बुवाई का सही समय
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की बुवाई नवंबर के पहले पखवाड़े में करनी चाहिए ताकि फरवरी तक फसल पक सके। फरवरी में तापमान बढ़ने लगता है, जिससे देर से बुवाई की फसल का दाना छोटा रह जाता है।

सिंचाई की बढ़ी सुविधा
सिंचाई के साधनों में सुधार से गेहूं की फसल के लिए अनुकूलता बढ़ी है। खुले कुओं की मदद से नॉन कमांड क्षेत्रों में भी सिंचाई की बेहतर व्यवस्था हुई है, जिससे गेहूं का रकबा बढ़ा है।

बांसवाड़ा में लोकप्रिय गेहूं की किस्में
अब जिले में राज 4220, राज 3765, राज 4037, राज 3777, एचआई 1544, डीबीडब्ल्यू 222, राज 4238, राज 4079 और लोकवन जैसी किस्में बोई जा रही हैं।

तापमान और गेहूं उत्पादन
बांसवाड़ा का तापमान गेहूं के लिए आदर्श नहीं है, फिर भी उत्पादन अच्छा हो रहा है। गेहूं के लिए 10-25 डिग्री सेल्सियस का तापमान अनुकूल होता है, लेकिन अत्यधिक गर्म या ठंडा मौसम फसल की वृद्धि और उत्पादन को प्रभावित कर सकता है।

वर्षों में गेहूं का बढ़ता रकबा

  • 2017-18: 84,265 हेक्टेयर
  • 2023-24: 108,692 हेक्टेयर
  • 2024-25: 1,15,000 हेक्टेयर

बांसवाड़ा में कृषि के इस बदलाव से अब गेहूं उत्पादन बढ़ रहा है, जिससे क्षेत्र की स्थानीय मांग पूरी हो रही है और जिले में गेहूं की किस्मों में भी विविधता आ गई है।

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