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जिले में अमरूद की खेती किसानों के लिए परेशानी का कारण बन गई है। पहले अमरूद से अच्छी कमाई होती थी और यह नेपाल और जम्मू-कश्मीर तक भेजा जाता था, लेकिन अब फफूंद जनित रोगों की वजह से किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस बीमारी से फलों की गुणवत्ता और उत्पादन पर बुरा असर पड़ रहा है, जिससे किसानों का मोह अमरूद की खेती से भंग हो रहा है।
हतुनिया गांव के सत्यनारायण पांडे और कैलाश पांडे ने बताया कि उन्होंने दो बीघा में अमरूद के बर्फ खान और ताईवानी पौधे लगाए थे, जो पहले अच्छे फल देते थे। लेकिन पिछले तीन सालों से सफेद कीड़े लगने के कारण उन्हें नुकसान हो रहा है, जिसके चलते उन्होंने 800 पौधे कटवा दिए। इसी तरह, खोती गांव के केदार माली ने बताया कि उन्होंने 15 बीघा में अमरूद का बगीचा लगाया था, पर कीड़े लगने से पौधे कटवाने पड़े।
गुराडिया माना के किसान जवान सिंह ने बताया कि उन्होंने 17 साल पहले संतरे का बगीचा हटाकर अमरूद के इलाहाबादी नस्ल के पौधे लगाए थे। हालांकि, तीन साल से अमरूद में लगातार फफूंद लगने के कारण उन्हें बगीचा काटना पड़ा। अब अमरूद का उठाव भी कम हो गया है और अच्छे दाम नहीं मिल रहे।