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राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा पर स्थित अयाना क्षेत्र के ग्रामीणों को अपनी रोजमर्रा की यात्रा के लिए एक 30 फीट लंबी लोहे की सीढ़ी का सहारा लेना पड़ता है। यह सीढ़ी पार्वती नदी के ऊपर रखी गई है, जो दोनों राज्यों के बीच एक प्राकृतिक सीमा बनाती है।
ग्रामीणों का रोज़ का सफर इस सीढ़ी से ही होता है क्योंकि नदी के बीच कोई पुल नहीं है। यह सीढ़ी बरसात के मौसम में हटा दी जाती है जब नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, और बाकी आठ महीने यह नदी पार करने का एकमात्र तरीका बन जाती है।
पुलिया का सपना
यहां के लोग वर्षों से एक स्थायी पुलिया बनाने की मांग कर रहे हैं, ताकि उनका जीवन और भी आसान हो सके। हालांकि, पहले राज्य सरकार ने पुलिया बनाने का वादा किया था, लेकिन अब तक काम नहीं हो सका। लोग अब भी इंतजार कर रहे हैं कि कभी उनके गांवों को एक स्थायी पुल मिलेगा।
नाव हादसा और बदलाव
करीब 40 साल पहले, एक नाव पलटने से 27 लोगों की जान चली गई थी, जिसके बाद नदी में नाव चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद, लोगों ने खुद अपनी ओर से एक हल निकाला और इस नदी के बीच एक लोहे की सीढ़ी बनाई, जो अब गांवों को जोड़ने का महत्वपूर्ण साधन बन चुकी है।
धार्मिक महत्व और पर्यटन
पार्वती नदी के बीच एक धार्मिक स्थल जिन्द महाराज और एक पानी का झरना भी है, जो इस क्षेत्र को धार्मिक और प्राकृतिक रूप से खास बनाता है। सर्दियों में यहां पर्यटकों का जमावड़ा होता है, जो इस खूबसूरत जगह के दृश्य का आनंद लेने आते हैं।