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शुक्रवार को भाग्योदय तीर्थ में अखिल भारतीय जैन अधिवक्ता परिषद का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। इस दौरान निर्यापक मुनि सुधा सागर महाराज ने कहा कि अधिवक्ता समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, इसलिए उन्हें समाज के लिए सलाह देनी चाहिए। इससे कई सामाजिक विवाद सुलझाए जा सकते हैं।
मुनि सुधा सागर ने यह भी सुझाव दिया कि सप्ताह में एक दिन समाज के वकीलों की बैठक मंदिर परिसर में होनी चाहिए। इस बैठक के माध्यम से वकील कोर्ट में जाने के फायदे और नुकसान को समझ सकते हैं, और घर के विवादों को आपसी बातचीत से हल किया जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि हर व्यक्ति का एक ही रूप होता है, लेकिन वह अलग-अलग रिश्तों में अलग-अलग रूप धारण करता है। भगवान के सामने व्यक्ति एक भक्त के रूप में होता है, न कि किसी उच्च अधिकारी या वकील के रूप में। इसलिए हमें भगवान के सामने हमेशा भक्त की भावना से जाना चाहिए। समाज से इज्जत की उम्मीद नहीं करनी चाहिए, बल्कि हमें खुद का आत्म-परीक्षण करना चाहिए।
मुनि सुधा सागर ने यह भी कहा कि अधिवक्ताओं का संगठन समाज में अच्छा कार्य कर रहा है और समाजहित में कार्य करने वाले संगठनों को आशीर्वाद दिया। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या स्थित राम जन्म भूमि मंदिर के पक्ष में पैरवी करने पर उजला के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार जैन को आशीर्वाद दिया।
पूर्व न्यायमूर्ति विमला जैन ने कहा कि जैन तीर्थ हमारी अनमोल धरोहर हैं और इनके संरक्षण तथा जीर्णोद्धार में अधिवक्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। वहीं, पूर्व न्यायमूर्ति जेके जैन ने बताया कि जैन अधिवक्ताओं का संगठन समाज के लिए बहुत फायदेमंद है, क्योंकि संगठन में शक्ति होती है और इससे बौद्धिक विकास होता है।
कार्यक्रम में देशभर के विभिन्न राज्यों के अधिवक्ता प्रतिनिधियों ने भाग लिया और अपने विचार व्यक्त किए।