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दिल्ली में इन दिनों वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है, जो नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे का कारण बन रहा है। यहां का पीएम 2.5 स्तर 247 माइक्रोग्राम/घन मीटर तक पहुंच चुका है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्धारित सीमा 15 माइक्रोग्राम/घन मीटर से बहुत अधिक है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार जा चुका है, जो खतरनाक श्रेणी में आता है। इसके कारण नागरिकों को लगातार खांसी, आंखों में जलन, और बुखार जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
क्या प्रदूषण कैंसर का कारण बन सकता है?
वायु प्रदूषण और कैंसर के बीच सीधा संबंध पाया गया है। लंबे समय तक पीएम 2.5 जैसे सूक्ष्म कणों के संपर्क में रहना फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। एक अमेरिकी एनजीओ, हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण फेफड़ों के कैंसर के मामलों में 30 से 50% की बढ़ोतरी हुई है।
सिर्फ फेफड़े नहीं, सिर और गर्दन के कैंसर का भी खतरा
हाल के एक अध्ययन में यह दावा किया गया है कि वायु प्रदूषण सिर और गर्दन के कैंसर का कारण भी बन सकता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि पीएम 2.5 जैसे प्रदूषक सिर और गर्दन के ऊतकों पर असर डालते हैं, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
भारत में कैंसर के नए कारण
टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई के शोध के अनुसार, भारत में फेफड़ों के कैंसर के ज्यादातर मामले धूम्रपान से संबंधित नहीं हैं। इसके मुख्य कारण वायु प्रदूषण और आनुवंशिक संरचना हैं। 2019 में भारत में फेफड़ों के कैंसर के मामलों की दर 7.7 प्रति 1,00,000 पाई गई।
बचाव के उपाय
वायु प्रदूषण से बचने के लिए विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव दिए हैं:
- एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें: घर में साफ हवा बनाए रखें।
- मास्क पहनें: बाहर जाते समय एन95 और एन99 मास्क का उपयोग करें।
- स्वच्छता का ध्यान रखें: नाक और मुंह की सफाई करें।
- हाइड्रेटेड रहें: ज्यादा पानी पिएं।
दिल्लीवासियों के लिए खतरे की घंटी
यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में वायु प्रदूषण नागरिकों की जीवन प्रत्याशा को 7.8 साल तक कम कर सकता है। यह प्रदूषण सिर्फ आज का संकट नहीं है, बल्कि आने वाले वर्षों में स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
स्वच्छ हवा का अधिकार
प्रदूषण से बचने के उपाय हैं, लेकिन स्थायी समाधान के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा। स्वच्छ हवा हर नागरिक का अधिकार है, और इसे सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।