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12 साल के बच्चे की इमारत से गिरने से मौत, 9 साल पहले पिता की भी हुई थी मौत

सीकर में पांचवीं मंजिल से गिरकर बच्चे की मौत
राजस्थान के सीकर शहर के वार्ड नंबर 41 में एक 12 साल के बच्चे की मौत हो गई। बच्चा पतंग लूटने के दौरान पांचवीं मंजिल के रोशनदान से गिर गया। हादसे के बाद वह करीब 20 मिनट तक तड़पता रहा, फिर पास काम कर रहे लोगों ने उसे देखा और परिवार को सूचना दी। बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।

माँ और परिवार का दुख
मृतक बच्चे का नाम कुलदीप था, और वह तीन भाई-बहनों में सबसे छोटा था। कुलदीप के पिता की 9 साल पहले मौत हो चुकी थी, जिससे परिवार में आर्थिक संकट था। बच्चा भी छोटी उम्र से मजदूरी करने लगा था। उसकी माँ मीनू कंवर का पहले पति और अब बेटे को खोने के बाद वह बेसुध हो गई थी।

रेजीडेंसी के निर्माण पर सवाल
मौत के बाद परिवार और स्थानीय लोग रेजीडेंसी के निर्माण पर सवाल उठाने लगे। जांच में यह सामने आया कि रेजीडेंसी में नगर परिषद की अनुमति से एक मंजिल अधिक बनवायी गई थी, जिसके लिए परिषद ने नोटिस जारी किया है।

परिजनों और वार्डवासियों का प्रदर्शन
परिजनों और वार्डवासियों ने मुआवजा और कानूनी कार्रवाई की मांग को लेकर मोर्चरी के बाहर प्रदर्शन किया। वे 50 लाख रुपये के मुआवजे की मांग कर रहे थे। पुलिस और प्रशासन के प्रयासों के बाद, बिल्डर के प्रतिनिधि ने 15 लाख रुपये मुआवजे पर सहमति दी और प्रदर्शन खत्म हुआ।

 

घर से 150 मीटर दूर आई मौत
मृतक कुलदीप का घर रजीडेंसी से करीब 150 मीटर दूर है। दोस्तों के साथ वह अमूमन गोगोमेड़ी के पीछे स्थित अपने घर व गली में ही खेलता था। सोमवार को शाम करीब पांच बजे रेजीडेंसी की छत पर चला गया था। जहां संभवतया पतंग उड़ाते समय वह हादसे का शिकार हो गया।

तीन साल से चल रहा काम, अधूरे इंतजाम

हेमंत ने बताया कि बिल्डिंग का निर्माण कार्य कई सालों से चल रहा है। कई परिवार भी उसमें रह रहे हैं। पर उसमें सुरक्षा के इंतजाम अब तक नहीं है। बिल्डिंग में सुरक्षा गार्ड और सीसीटीवी कैमरे नहीं है। रेजीडेंसी की चार दीवारी भी छोटी होने सहित लिफ्ट की जगह भी खुली है। ऐसे में हर समय हादसे को न्योता देती है।

आगे पतंगों का सीजन, इसलिए दो चुनौती भी

मकर संक्राति के नजदीक आने के साथ ही पतंगवाजी का दौर भी शुरू हो गया है। ऐसे में प्रशासन के साथ हम सभी के लिए दो चुनौती है। पतंगों के चक्कर में कई बार नैनिहाल ऊंची दीवारों से भी कूद जाते है। इसलिए बच्चों को पतंग के पीछे नहीं भागने के लिए समझाए। वहीं चाईनीज मांझा भी हर साल दर्द दे रहा है। सीजन दूर होने के बाद भी अभी से चाईनीज मांझे का खेल शुरू हो गया है। ऐसे में प्रशासन को चाईनीज मांझा बेचने वालों के खिलाफ एक्शन लेना होगा।

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