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वृंदावन: प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज ने कहा कि अब वह अनिरुद्ध कुमार पांडे नहीं हैं और उनका मूल स्थान कानपुर नहीं, बल्कि वृंदावन है।
महाराज ने क्यों कहा ऐसा?
🔹 वृंदावन के श्री हित राधा केली कुंज आश्रम में जब एक भक्त ने पूछा कि क्या वह कानपुर के मूल निवासी हैं?
🔹 इसके जवाब में प्रेमानंद महाराज ने कहा, “अब मेरा मूल वृंदावन है, कानपुर अब मेरे लिए बीता हुआ समय है।”
🔹 उन्होंने कहा, “जो अनिरुद्ध कुमार पांडे था, वह कानपुर का था, लेकिन अब मैं प्रेमानंद गोविंद शरण हूं, जो वृंदावन का है।”
13 साल की उम्र में लिया संन्यास
📌 प्रेमानंद महाराज का जन्म कानपुर के सरसौल गांव में हुआ था।
📌 महज 12-13 साल की उम्र में उन्होंने संन्यास ले लिया और वृंदावन आ गए।
📌 यहाँ रहकर उन्होंने शास्त्रों का अध्ययन किया और राधाबल्लभ संप्रदाय से दीक्षा ली।
📌 अब वे पूरी तरह से भक्ति में लीन हैं और वृंदावन को ही अपना जीवन मानते हैं।
👉 प्रेमानंद महाराज का कहना है कि भक्ति मार्ग पर चलने के बाद उनका पुराना नाम और स्थान पीछे छूट गया, और अब वे पूरी तरह वृंदावन के हो चुके हैं। 🙏