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जयपुर। राइजिंग राजस्थान इन्वेस्टमेंट समिट में 35 लाख करोड़ के निवेश समझौतों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे। अब राजस्थान सरकार इस निवेश को धरातल पर उतारने के लिए एक रोडमैप तैयार कर रही है ताकि हर निवेशक का काम आसानी से हो सके। इसके लिए सरकार ने 34 आईएएस अफसरों को 23 देशों और 19 राज्यों की जिम्मेदारी दी है। इनमें से आठ आईएएस अफसरों को दोहरी जिम्मेदारी दी गई है, जो न केवल विदेशों के साथ, बल्कि भारत के राज्यों में भी निवेशकों से संपर्क बनाए रखेंगे। ये अफसर अगले सप्ताह से इस कार्य में जुट जाएंगे।
नोडल एजेंसी के तौर पर बीआईपी करेगी काम
ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टमेंट प्रमोशन (बीआईपी) को नोडल एजेंसी के रूप में काम सौंपा गया है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी समिट के अंतिम दिन यह कहा था कि अगले साल 11 दिसंबर को एमओयू पर हुए काम का हिसाब दिया जाएगा।
जिम्मेदारी मिलने वाले आईएएस अफसर
सिद्धार्थ सिहाग, रोहित गुप्ता, अजिताभ शर्मा, आरती डोगरा, रवि सुरपुर, दिनेश, प्रकाश राजपुरोहित, आशुतोष ए.टी. पेडणेकर, नकाते शिवप्रसाद, रवि जैन, कृष्णकुणाल, संदेश नायक, जोगाराम, राजन विशाल, कृष्णकांत पाठक, अर्चना सिंह, नवीन जैन, टी. रविकांत, आरूषि मलिक, आनंदी, राजेश यादव, वैभव गालरिया, गायत्री राठौड़, नगिक्य गोहेन, आलोक, अरविंद पोसवाल, कमर-उल-जमान, मोहमद जुनैद, सौया झा, देबाशीष, वी. सरवन, पी. रमेश, श्रेया गुहा।
नए निवेश की पहचान और समन्वय की जिम्मेदारी
आईएएस अफसरों की जिम्मेदारी सिर्फ मौजूदा निवेश को लागू करने तक सीमित नहीं होगी, बल्कि उन्हें नए व्यापार और निवेश के अवसर भी तलाशने होंगे। वे इच्छुक निवेशकों से समन्वय करेंगे और संभावित कंपनियों व औद्योगिक समूहों से संपर्क करेंगे। इसके अलावा, वे संबंधित देशों में भारत के राजदूतों से भी संपर्क में रहेंगे और वहां के उद्योगपतियों से बातचीत करेंगे। अगर जरूरत पड़ी तो वे उस देश में भी जाएंगे। 2026 में होने वाली राइजिंग राजस्थान समिट को लेकर भी नए निवेश की बड़ी जिम्मेदारी इन अफसरों पर होगी।