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राजस्थान में पहली बार कचरे से बिजली बनाने का प्लांट तैयार हो गया है। आठ साल के लंबे इंतजार के बाद मार्च में यह प्लांट शुरू होगा, जिससे नगर निगम को अच्छी कमाई होगी।
मार्च से शुरू होगा बिजली उत्पादन
जयपुर के लांगड़ियावास में बने वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट का काम 90% पूरा हो चुका है। फरवरी तक इसका काम पूरी तरह खत्म हो जाएगा और 15 फरवरी के आसपास ट्रायल शुरू किया जाएगा। मार्च से प्लांट में रोजाना एक हजार मैट्रिक टन कचरे से 12 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा।
निगम को होगी बड़ी कमाई
नगर निगम को हर मैट्रिक टन कचरे पर 66 रुपए की रॉयल्टी मिलेगी। इससे निगम को हर महीने करीब 20 लाख रुपए की कमाई होगी। साथ ही, कचरे का निस्तारण भी आसानी से हो जाएगा।
प्लांट को लेकर रही चुनौतियां
इस प्लांट के लिए 2017 में वर्क ऑर्डर जारी हुआ था, लेकिन जमीन के विवाद और पर्यावरण एनओसी के कारण काम रुक गया था। अब राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से एनओसी मिल गई है, जिससे काम तेजी से आगे बढ़ा है।
जयपुर डिस्कॉम को बेची जाएगी बिजली
प्लांट से बनने वाली बिजली को 7 रुपए 31 पैसे प्रति यूनिट के हिसाब से जयपुर डिस्कॉम को बेचा जाएगा। इसके अलावा, कंपनी को बचे हुए कचरे के निस्तारण के लिए साइंटिफिक सेनेटरी लैंडफिल भी बनाना होगा।
दोनों नगर निगमों से आएगा कचरा
- हैरिटेज निगम रोजाना 400 मैट्रिक टन कचरा प्लांट में भेजेगा।
- ग्रेटर निगम 600 मैट्रिक टन कचरा सप्लाई करेगा।
रॉयल्टी का बंटवारा भी दोनों निगमों में होगा, जिसमें हैरिटेज को 40% और ग्रेटर निगम को 60% हिस्सा मिलेगा।
शहर से निकलने वाला कचरा
- हैरिटेज निगम क्षेत्र से रोजाना 950 से 1000 मैट्रिक टन कचरा निकलता है।
- ग्रेटर निगम क्षेत्र से 1000 से 1200 मैट्रिक टन कचरा निकलता है।
- पूरे शहर से रोजाना करीब 2200 मैट्रिक टन कचरा निकलता है।
जल्द ही शुरू होगा प्लांट
हैरिटेज निगम के आयुक्त अरुण कुमार हसिजा के अनुसार, “डेढ़-दो हजार टन कचरा पहले ही भेज दिया गया है और 15 फरवरी से ट्रायल के तौर पर कचरे से बिजली बनना शुरू हो जाएगी।”
यह प्लांट न केवल पर्यावरण के लिए फायदेमंद होगा, बल्कि नगर निगम की आमदनी भी बढ़ाएगा।