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राजस्थान पुलिस उपनिरीक्षक (SI) भर्ती पेपर लीक मामले में SOG (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने आरोपी शिवरतन मोठ को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है। मोठ को इस मामले में यूनिक भांभू का सहयोगी बताया गया था।
कोर्ट का फैसला
न्यायाधीश गणेश राम मीणा ने जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि SOG आरोपी की परीक्षा केंद्र पर मौजूदगी साबित करने में नाकाम रही है।
- SOG के पास कोई ठोस सबूत नहीं था जो यह साबित करे कि मोठ परीक्षा केंद्र पर मौजूद था।
- केवल सह-आरोपी के बयान और परीक्षा के बाद यूनिक भांभू से फोन पर हुई बातचीत को आधार बनाया गया।
- आरोप पत्र पहले ही पेश किया जा चुका है, इसलिए आरोपी को जमानत देना उचित होगा।
अधिवक्ताओं के तर्क
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याचिकाकर्ता के वकील वेद प्रकाश ने कहा कि SOG ने मोठ को यूनिक भांभू का सहयोगी बताया और आरोप लगाया कि उसने स्कूल संचालक राजेश खंडेलवाल से मिलकर परीक्षा सेंटर में प्रवेश कराया।
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लेकिन SOG कोई ऐसा प्रमाण नहीं दे पाई, जिससे उसकी मौजूदगी साबित हो सके।
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याचिकाकर्ता सरकारी कर्मचारी है और एक साल से जेल में बंद है।
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राज्य सरकार के विशेष लोक अभियोजक अनुराग शर्मा ने दलील दी कि सह-आरोपी राजेश खंडेलवाल के बयान के अनुसार याचिकाकर्ता इस अपराध में शामिल था और उसने उस स्थान की पहचान भी की, जहां वह मौजूद था।
हालांकि, कोर्ट ने SOG के सबूतों को अपर्याप्त मानते हुए शिवरतन मोठ को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया।