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छिंदवाड़ा: इस साल बाजार में गेहूं के दाम 3300 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच चुके हैं, जबकि सरकार ने समर्थन मूल्य 2425 रुपए प्रति क्विंटल तय किया है। इसके अलावा, सरकार सिर्फ 175 रुपए की प्रोत्साहन राशि दे रही है, जिससे किसानों की रुचि सरकारी खरीदी में कम हो रही है। अब तक केवल 1845 किसानों ने पंजीयन कराया है, जिससे प्रशासन और खाद्य आपूर्ति विभाग के अधिकारी परेशान हैं।
गेहूं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं
- रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से गेहूं की कीमतों में उछाल जारी है।
- बाजार में गेहूं 3300 रुपए प्रति क्विंटल बिक रहा है, जबकि आटा 4000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका है।
- मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने समर्थन मूल्य 2600 रुपए प्रति क्विंटल करने की घोषणा की है, लेकिन यह भी बाजार मूल्य से काफी कम है।
- किसानों को सरकारी खरीदी की बजाय बाजार में ज्यादा कीमत मिल रही है, इसलिए वे पंजीयन से बच रहे हैं।
पिछले साल सरकार ने बोनस दिया था
- 2023-24 में समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल था।
- सरकार ने 125 रुपए प्रति क्विंटल बोनस दिया, जिससे किसानों को 2400 रुपए प्रति क्विंटल मिला।
- उस समय 5708 किसानों ने 497220 क्विंटल गेहूं बेचा था।
- इस साल बोनस कम मिलने के कारण किसान सरकारी खरीदी में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
योजनाओं पर असर पड़ सकता है
- यदि सरकारी खरीदी नहीं हुई तो मध्याह्न भोजन, सांझा चूल्हा, दीनदयाल रसोई जैसी योजनाओं के लिए गेहूं की आपूर्ति मुश्किल हो जाएगी।
- स्कूल, छात्रावास और आश्रमों में भी राशन की कमी हो सकती है।
राशन दुकानों पर भी संकट
- छिंदवाड़ा-पांढुर्ना जिले की 850 राशन दुकानों पर 3.72 लाख परिवार रियायती अनाज पर निर्भर हैं।
- अभी प्रति व्यक्ति 3 किलो गेहूं दिया जा रहा है, जो पहले सिर्फ 1 किलो था।
- यदि सरकारी खरीदी नहीं हुई, तो राशन दुकानों पर गेहूं की आपूर्ति प्रभावित होगी।
कुल मिलाकर, किसानों को बाजार में ज्यादा दाम मिलने से वे सरकारी खरीदी में रुचि नहीं ले रहे हैं, जिससे सरकारी योजनाओं और राशन व्यवस्था पर संकट गहरा सकता है।