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नागौर: खेल सामग्री के बिना बीत रहा शिक्षा सत्र
नागौर जिले में सरकारी स्कूलों को अब तक खेल सामग्री और इसके लिए बजट नहीं मिला है, जबकि शिक्षा विभाग के दिशा-निर्देशों में साफ लिखा है कि खेलों से शारीरिक और मानसिक विकास होता है।
अब तक नहीं मिला खेल ग्रांट का बजट
हर साल स्कूलों को खेल सामग्री खरीदने के लिए खेल ग्रांट दी जाती है। प्राथमिक स्कूलों को 5,000 रुपये, माध्यमिक स्कूलों को 10,000 रुपये और उच्च माध्यमिक स्कूलों को 25,000 रुपये का बजट सितंबर-अक्टूबर में दिया जाता है। लेकिन इस बार मार्च तक न तो राशि दी गई और न ही खेल सामग्री पहुंची।
गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल
शिक्षा विभाग का कहना है कि खेल सामग्री मुख्यालय स्तर पर टेंडर के जरिए खरीदी जाएगी और फिर स्कूलों तक पहुंचाई जाएगी। लेकिन स्कूल प्रधानों का कहना है कि इससे सामग्री की गुणवत्ता प्रभावित होगी और स्कूलों की जरूरतों को नजरअंदाज किया जाएगा।
पहले भी सवालों के घेरे में शिक्षा विभाग
पहले भी विभाग ने मुख्यालय स्तर पर प्रश्न-पत्र छपवाकर स्कूलों से ज्यादा पैसे वसूले थे, जिस पर सवाल उठे थे। अब खेल सामग्री खरीदने की नई व्यवस्था को लेकर भी आशंका जताई जा रही है कि इससे स्कूलों की जरूरतों की अनदेखी होगी।
जल्द सप्लाई का दावा
शिक्षा विभाग के अधिकारी रामनिवास जांगिड़ ने कहा कि खेल सामग्री का टेंडर कर लिया गया है और जल्द ही इसे ब्लॉक स्तर पर भेजकर स्कूलों में वितरित किया जाएगा।