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राजस्थान में ड्राइपोर्ट की भारी कमी है, जिससे निर्यातकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। यहां केवल तीन इंटरनेशनल कंटेनर डिपो (ICD) हैं, जबकि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में 7-7 ICD मौजूद हैं। राजस्थान के निर्यातक लंबे समय से संभाग स्तर पर अधिक ICD की मांग कर रहे हैं। अभी केवल जयपुर के कनकपुरा और जोधपुर के भगत की कोठी में ICD हैं, और कोटा में भी एक छोटे स्तर पर ICD काम कर रही है। समुद्री सीमा न होने की वजह से प्रदेश में ड्राइपोर्ट की जरूरत और भी अधिक महसूस हो रही है।
बढ़ते कंटेनर भाड़े से परेशानी
निर्यातकों को कंटेनर भाड़े में लगातार हो रही बढ़ोतरी का भी सामना करना पड़ रहा है। वियतनाम को छोड़कर बाकी देशों के लिए भाड़ा 2-3 गुना तक बढ़ चुका है। जैसे कि पहले दोहा, बहरीन, तुर्की, अल्जीरिया और ओमान के लिए भाड़ा 400-600 डॉलर था, जो अब बढ़कर 1300-3000 डॉलर हो गया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRR) के अनुसार, माल ढुलाई दरों में यह बढ़ोतरी आपूर्ति श्रृंखला में चल रही चुनौतियों का संकेत है।
समाधान के सुझाव
- चार जोन में चार ड्राइपोर्ट बनाए जाएं: राजस्थान के महासचिव पुष्प कुमारस्वामी का कहना है कि राज्य को चार जोन में बांटकर ड्राइपोर्ट बनाने चाहिए, जिससे राज्य के सभी 7 संभाग मुख्यालय पर ड्राइपोर्ट विकसित किए जा सकें।
- फ्रेट सब्सिडी की जरूरत: मार्बल एक्सपोर्टर दीपक आकड़ ने सुझाव दिया कि चीन की तरह ही सरकार को निर्यातकों के लिए फ्रेट सब्सिडी योजना शुरू करनी चाहिए, जिससे बढ़ती लागत का बोझ कम हो सके।
- डेडिकेटेड ड्राइपोर्ट: पूर्व गारमेंट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन अध्यक्ष जाकिर हुसैन का मानना है कि अलग-अलग उत्पादों के आधार पर डेडिकेटेड ड्राइपोर्ट बनाए जाएं, जैसे कि जयपुर में गारमेंट्स के लिए अलग ICD हो, जिससे समय और लागत दोनों की बचत हो।
निर्यात बढ़ाने की जरूरत
राजस्थान सरकार ने अगले 4 सालों में राज्य को 350 बिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को पाने के लिए राजस्थान के निर्यात को बढ़ाना जरूरी है। फिलहाल राजस्थान का कुल निर्यात 84 हजार करोड़ रुपए का है, जिसे बढ़ाकर 5 लाख करोड़ तक पहुंचाना होगा।