आजमगढ़। जिले में अवैध नर्सिंग होम, पैथोलॉजी सेंटर और जांच केंद्रों पर स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। सीएमओ कार्यालय में प्रभावित नर्सिंग होम संचालकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि सीएमओ के निर्देश पर डॉक्टरों की टीम छापेमारी तो करती है, लेकिन कुछ ही दिनों में अवैध नर्सिंग होम फिर से चालू हो जाते हैं।
भ्रष्टाचार और मिलीभगत के आरोप
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि छापेमारी के बाद केवल आंशिक सीलिंग की जाती है या फिर बंद कमरे में बातचीत कर मामले को निपटा दिया जाता है। इससे अवैध केंद्र दोबारा शुरू हो जाते हैं। भाजपा के एक स्थानीय पदाधिकारी ने आरोप लगाया कि सीएचसी की दो नर्सें एक अवैध नर्सिंग होम से मिली हुई हैं। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाली प्रसूता महिलाओं को रात में अचानक रेफर कर दिया जाता है, और घबराहट में वे उसी नर्सिंग होम में भर्ती हो जाती हैं। इस नर्सिंग होम को पहले सील किया गया था, लेकिन उसी दिन वहां फिर से इलाज शुरू हो गया।
औपचारिक कार्रवाई तक सीमित उपाय
मेहनाजपुर के एक निवासी ने शिकायत की कि उनके पड़ोस में एक 10वीं पास व्यक्ति अवैध हड्डी अस्पताल चला रहा है। इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग केवल औपचारिक कार्रवाई कर मामले को दबा देता है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रभावशाली लोगों के दबाव में इन अवैध केंद्रों के खिलाफ कोई सख्त कदम नहीं उठाए जाते।
प्रदर्शनकारियों ने स्वास्थ्य विभाग से ठोस और पारदर्शी कार्रवाई की मांग की है, ताकि जिले में अवैध नर्सिंग होम का संचालन पूरी तरह से बंद हो सके।