Diwali 2024: दीपावली के नजदीक आते ही हर ओर उत्साह का माहौल है। लोग घरों को सजाते हैं, मिठाइयां बांटते हैं और पटाखे जलाते हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से पटाखों से होने वाला वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गया है। कई शहरों में पटाखों पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है ताकि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके। लेकिन कुछ राज्यों में ग्रीन पटाखे बेचने और जलाने की अनुमति है, जो पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचाते हैं।
ग्रीन पटाखे क्या हैं? ग्रीन पटाखे पारंपरिक पटाखों के मुकाबले कम प्रदूषण फैलाते हैं। इन्हें बनाने में विशेष रसायनों का इस्तेमाल होता है, जिससे ये जलने पर लगभग 20% कम पार्टिकुलेट मैटर (PM) और 10% कम हानिकारक गैसें छोड़ते हैं। हालांकि, यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि इनसे पूरी तरह से प्रदूषण खत्म नहीं होता, लेकिन यह सामान्य पटाखों की तुलना में कम होता है।
ग्रीन पटाखों की विशेषताएं:
- छोटे और हल्के: ग्रीन पटाखे आकार में छोटे होते हैं, जिससे रॉ मटीरियल का कम उपयोग होता है।
- कम प्रदूषण: इनमें विशेष रसायनों का इस्तेमाल होता है, जिससे वायु प्रदूषण कम होता है।
- ध्वनि प्रदूषण में कमी: ग्रीन पटाखे सामान्य पटाखों के मुकाबले कम आवाज करते हैं, जिससे जानवरों और बुजुर्गों को परेशानी कम होती है।
- कम अवशेष: ये पटाखे जलने के बाद कम राख छोड़ते हैं, जिससे सफाई आसान हो जाती है।
- कम धुआं और गैस उत्सर्जन: ये पटाखे जलने पर कम धुआं छोड़ते हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता बेहतर रहती है।
- उच्च दक्षता: इन पटाखों को बनाने में कम रॉ मटीरियल का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे पर्यावरणीय नुकसान भी कम होता है।
ग्रीन पटाखों की पहचान कैसे करें? ग्रीन पटाखों के नाम पर बाजार में नकली पटाखे भी बेचे जा सकते हैं, इसलिए असली ग्रीन पटाखों की पहचान करना जरूरी है। ग्रीन पटाखों को CSIR (Council of Scientific and Industrial Research) ने तीन कैटेगरी में बांटा है: SWAS, SAFAL, और STAR। आप इन्हें NEERI ऐप के जरिए QR कोड स्कैन करके पहचान सकते हैं, ताकि नकली पटाखों से बचा जा सके और आप पर्यावरण के अनुकूल विकल्प चुन सकें।
इस दिवाली, पर्यावरण का ख्याल रखते हुए ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करें और प्रदूषण को कम करने में सहयोग दें।